किडनी कांड में यथार्थ अस्पताल की भूमिका पर सवाल, अस्पताल में होते रहे अवैध किडनी ट्रांसप्लांट मैनेजमेंट को कैसे नहीं पता
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किडनी कांड में यथार्थ अस्पताल की भूमिका पर सवाल, अस्पताल में होते रहे अवैध किडनी ट्रांसप्लांट मैनेजमेंट को कैसे नहीं पता

Yatharth  Hospital in kidney scandal: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़ा खुलासा किया है, वो भी मानव अंगों की तस्करी से संबंधित। इस खुलासे से कई नामी-गरामी डॉक्टर और अस्पताल बेनकाब हो रहे हैं। दिल्ली के अपोलो और नोएडा के यथार्थ अस्पताल का नाम इस किडनी कांड में सबसे ऊपर है, लेकिन देखिए मैनेजमेंट खुद को अंजान बता रहा है। क्या ऐसा संभव है कि कोई डॉक्टर विजिट पर आता है और अस्पताल के ओटी में किडनी ट्रांसप्लांट कर चला जाए और अस्पताल को पता ही न चले। जनमानस में तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं और यथार्थ अस्पताल की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। जिस तरह से यथार्थ अस्पताल ने करोनाकाल में मरीजों को भर्ती कर जमकर बिल वसूला और सामाजिक तौर पर दिखावा किया कि यथार्थ अस्पताल में बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन जीतने भी मरीज उस दौरान भर्ती हुए ज्यादातर लोगों ने अस्पताल प्रबंधन की कुछ ना कुछ शिकायतें जरूर की और जिला प्रशासन ने भी यथार्थ अस्पताल पर रुपये लौटाने के लिए दबाव डाला। क्योंकि बिलों में काफी गड़बड़ी थी और अब किडनी कांड में यथार्थ अस्पताल का नाम सबसे ऊपर है।

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बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बड़ी कार्रवाई करते हुए भारत व बांग्लादेश में चल रहे अंतरराष्ट्रीय किडनी गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने 4 बांग्लादेशियों समेत सात को गिरफ्तार किया है, जबकि 3 मरीजों को बाउन-डाउन किया गया है। किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता दोनों की बांग्लादेशी होते थे और नोएडा व दिल्ली के अस्पतालों में गैरकानूनी रूप से प्रत्यारोपण किया जाता था। आरोपी डोनर को साढ़े तीन लाख रुपये देते थे और प्राप्तकर्ता से 20 से 22 लाख रुपये लेते थे। बताया जा रहा है कि किडनी रैकेट 3 वर्ष से ज्यादा समय से चल रहा था।

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि इंस्पेक्टर कमल शर्मा की टीम को 16 जून को सूचना मिली कि एक संगठित अपराध गिरोह के लोग गैरकानूनी रूप से किडनी प्रत्यारोपण का धंधा कर रहे हैं। एसीपी रमेश लांबा की देखरेख में इंस्पेक्टर कमल कुमार एवं सत्येंद्र मोहन, एसआई गुलाब सिंह, आशीष शर्मा, समय सिंह, एएसआई शैलेंद्र सिंह, राकेश कुमार और जफरुद्दीन की टीम ने जांच शुरू की। टीम ने जसोला गांव में घेराबंदी कर चार आरोपी बांग्लादेशी रसेल, रोकोन, सुमन मियां और त्रिपुरा निवासी रतेश पाल को गिरफ्तार कर लिया। उनकी निशानदेही पर तीन प्राप्तकर्ता और तीन डोनर की पहचान की गई। अपराध शाखा ने मामला दर्जकर सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

 

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