यह पुतिन का 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत का पहला दौरा होगा। उनका पिछला दौरा दिसंबर 2021 में हुआ था, जबकि पिछले साल जुलाई में पीएम मोदी मॉस्को गए थे। इस बीच दोनों नेताओं की कई अनौपचारिक मुलाकातें हुई हैं, जिनमें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की हालिया बैठक के दौरान भी बातचीत हुई। पुतिन ने हाल ही में वलदाई चर्चा क्लब में कहा था कि वे मोदी से मिलने के लिए उत्सुक हैं, जिन्हें वे ‘तर्कसंगत और बुद्धिमान नेता’ मानते हैं।
एजेंडा
शिखर बैठक में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा के साथ ही ऊर्जा, रक्षा, व्यापार, नागरिक उड्डयन, महत्वपूर्ण खनिज, निवेश परियोजनाओं और श्रम प्रवास जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। क्रीमलिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने पुष्टि की है कि दोनों पक्ष कई द्विपक्षीय समझौतों को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहे हैं।
• रक्षा सौदे: भारत पांच अतिरिक्त एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस स्क्वाड्रन खरीदने का प्रस्ताव रख सकता है, साथ ही मौजूदा सिस्टम के लिए सतह-से-हवा मिसाइलों का बड़ा स्टॉक। ऑपरेशन सिंदूर में इनकी प्रभावशीलता साबित हो चुकी है। रूस सु-57 फाइटर जेट्स के दो या तीन स्क्वाड्रन बेचने का जोर दे रहा है, जो अमेरिकी एफ-35 का विकल्प हो सकता है। रूस ने 70% तक तकनीकी हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया है, जो बाद में संयुक्त उत्पादन की ओर ले जा सकता है। एस-500 सिस्टम के संयुक्त उत्पादन पर भी बात होगी।
• रूस-यूक्रेन युद्ध: पीएम मोदी शांति वार्ता पर जोर देंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में यूक्रेन के अपने समकक्ष एंड्री सिबिहा से फोन पर बात की, जिसमें संघर्ष के शीघ्र समाधान की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई गई। भारत का रुख स्पष्ट है- ‘युद्धक्षेत्र पर कोई समाधान नहीं मिल सकता।’
• ऊर्जा और व्यापार: दोनों देश ऊर्जा सहयोग बढ़ाने पर फोकस करेंगे, खासकर रूसी तेल आयात के बीच अमेरिकी प्रतिबंधों (जैसे सैंक्शनिंग रूस एक्ट 2025) का सामना कर रहे भारत के लिए। व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। पुतिन ने डिप्टी पीएम डेनिस मंटुरोव को निर्देश दिए हैं कि अंतर-सरकारी आयोग के प्रमुख के रूप में ठोस उपाय सुझाएं। परमाणु ऊर्जा, कृषि, आर्कटिक और कनेक्टिविटी पहलों पर भी चर्चा होगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अगस्त में मॉस्को यात्रा के बाद से ही यह दौरा तय हो रहा था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुतिन के सम्मान में स्टेट बैनक्वेट आयोजित करेंगी।
सोशल मीडिया पर हलचल
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस खबर ने जोरदार बहस छेड़ दी है। WION न्यूज ने ब्रेकिंग न्यूज के रूप में पोस्ट किया, जबकि कई यूजर्स ने इसे ‘भू-राजनीतिक पावर मूव’ करार दिया। एक पोस्ट में कहा गया, “यह यात्रा भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाई देगी, खासकर रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में।” कुछ ने अमेरिकी दबाव के बीच भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की तारीफ की।
यह यात्रा भारत के लिए वैश्विक संतुलन की रणनीति को मजबूत करेगी, जहां अमेरिका के साथ संबंधों के बीच रूस से साझेदारी बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा क्षमता में इजाफा होगा। बैठक के बाद संयुक्त बयान और कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर की उम्मीद है।

