यह घटना गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के संदर्भ में हुई, जब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के नेतृत्व में करीब 1,992 सिख तीर्थयात्रियों का जत्था 4 नवंबर को वाघा-अटारी सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंचा था। जत्थे का नेतृत्व अकाल तख्त साहिब के जएथेडर ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गाज ने किया। तीर्थयात्री ननकाना साहिब सहित विभिन्न ऐतिहासिक गुरुद्वारों में माथा टेकने गए, लेकिन 13 नवंबर को भारत लौटते समय सरबजीत कौर जत्थे के साथ नहीं थीं।
भारतीय और पाकिस्तानी आव्रजन रिकॉर्ड में सरबजीत का नाम न तो पाकिस्तान के एक्जिट लॉग में दर्ज है और न ही भारत के री-एंट्री लिस्ट में। कपूरथला पुलिस ने बताया कि सरबजीत अमनपुर गांव की रहने वाली हैं और तलवंडी चौधरियां थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई है। एसएचओ निर्मल सिंह ने कहा, “वह ननकाना साहिब में दर्शन करने गईं, लेकिन लौटीं नहीं।”
सामने आए निकाहनामा के अनुसार, सरबजीत ने स्वेच्छा से इस्लाम कबूल किया और नासिर हुसैन के साथ निकाह किया।
दस्तावेज में उनका नया नाम ‘नूर’ उल्लिखित है और यह किसी स्थानीय मस्जिद द्वारा जारी किया गया ऐसा प्रतीत होता है।
हालांकि, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। सूत्रों के मुताबिक, निकाहनामा में दर्ज सहमति वास्तविक परिस्थितियों को प्रतिबिंबित नहीं कर सकती, क्योंकि अतीत में ऐसी घटनाओं में दबाव, छल या तीर्थयात्रियों से अलगाव की आशंकाएं जताई गई हैं। यह मामला ‘तीर्थयात्री भर्ती’ के पैटर्न का हिस्सा हो सकता है, जिसकी जांच चल रही है।
सरबजीत के पारिवारिक जीवन को लेकर भी सवाल उठे हैं। वह तलाकशुदा हैं और उनके दो बेटे, लवजोत सिंह और नवजोत सिंह, इंग्लैंड में रहते हैं। कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी और कबीरपुर में उनके बेटों के खिलाफ 10 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि सरबजीत के नाम पर धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़े तीन पुराने केस हैं। उनका पासपोर्ट मुक्तसर जिले से जारी हुआ था।
इस घटना से सिख संगठनों में आक्रोश फैल गया है। एसजीपीसी और अन्य सिख ग्रुप्स ने सरबजीत की रहस्यमयी गायबगी की निष्पक्ष जांच की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है, जहां कुछ लोग इसे जबरन धर्मांतरण का मामला बता रहे हैं, तो कुछ स्वैच्छिक निर्णय। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “एक मालिक के बच्चे, क्या सरदार क्या मुहम्मद” – जो विवादास्पद रूप से वायरल हो रहा है।
भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों ने संयुक्त रूप से सरबजीत की तलाश तेज कर दी है। पंजाब पुलिस और खुफिया विभाग पाकिस्तान के साथ समन्वय कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि द्विपक्षीय तीर्थयात्रा समझौते के तहत ऐसी घटनाओं पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत है। फिलहाल, सरबजीत की लोकेशन अज्ञात बनी हुई है, और यह मामला भारत-पाकिस्तान संबंधों में नई तनातनी का कारण बन सकता है।

