एक PUC सेंटर संचालक ने बताया कि अचानक आई भीड़ के कारण सर्वर पर लोड बढ़ गया है, जिससे सर्टिफिकेट जारी करने में देरी हो रही है। दिल्ली में कई पेट्रोल पंपों और अधिकृत सेंटर्स पर लंबी कतारें लगी हुई हैं। लोग सुबह से ही लाइन में खड़े हैं, लेकिन सर्वर स्लो होने से काम रुक-रुक कर हो रहा है।
क्यों लागू हुआ सख्त नियम?
दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ‘वेरी पुअर’ से ‘सीवियर’ कैटेगरी में बना हुआ है। 19 दिसंबर को सुबह AQI 387 दर्ज किया गया। GRAP-4 के तहत 18 दिसंबर से ‘नो PUC, नो फ्यूल’ नियम लागू हो गया है, जिसके अनुसार वैध PUC सर्टिफिकेट के बिना पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल, डीजल या CNG नहीं दिया जा रहा। साथ ही, दिल्ली में बाहर से आने वाले BS-VI से कम मानक वाले निजी वाहनों पर प्रतिबंध है।
इस नियम के पहले दिन (18 दिसंबर) ही दिल्ली में 31,974 नए PUC सर्टिफिकेट जारी हुए, जबकि 17 दिसंबर को 29,938 जारी हुए थे। कुल मिलाकर 17-18 दिसंबर के बीच 61,000 से ज्यादा सर्टिफिकेट बनाए गए, जो सामान्य दिनों से कई गुना ज्यादा है। इस रश के कारण ही सर्वर पर दबाव बढ़ा और स्लो हो गया। पहले दिन 3,746 वाहनों का चालान किया गया और कई वाहनों को ईंधन देने से मना कर दिया गया।
पेट्रोल पंपों पर क्या असर?
नियम लागू होने से कई पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों की संख्या कम हो गई, क्योंकि लोग पहले PUC बनवा रहे हैं। हालांकि, बॉर्डर एरिया के पंपों पर गिरावट ज्यादा देखी गई। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने तकनीकी दिक्कतों का जिक्र किया है, जैसे ANPR कैमरे पूरी तरह काम नहीं कर रहे।
सरकार का पक्ष
पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह नियम प्रदूषण कम करने के लिए जरूरी है, भले ही शुरुआत में थोड़ी असुविधा हो। सरकार PUC सिस्टम को अपग्रेड करने पर विचार कर रही है। साथ ही, कारपूलिंग ऐप और अन्य उपायों पर काम चल रहा है।
वाहन चालकों से अपील है कि वे जल्द से जल्द वैध PUC सर्टिफिकेट बनवाएं। PUC सर्टिफिकेट नजदीकी अधिकृत सेंटर या पेट्रोल पंप पर वाहन टेस्ट करवाकर बनवाया जा सकता है। पुराना सर्टिफिकेट ऑनलाइन वाहन पोर्टल से डाउनलोड भी किया जा सकता है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है, लेकिन सर्वर की समस्या जल्द ठीक होने की उम्मीद है। दिल्लीवासियों से सहयोग की अपील की गई है ताकि हवा साफ हो सके।

