अस्पतालों में एंटी रेबीज सीरम न लगने से दिक्कत
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अस्पतालों में एंटी रेबीज सीरम न लगने से दिक्कत

Ghaziabad news : जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र में एंटी रेबीज सीरम लगवाने की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग के पास सीरम भी उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में कुत्ते के हमले में गंभीर रूप से घायल होने वाले मरीजों को दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ रही है।
जिले में कुत्ते और बंदरों का आतंक बढ़ रहा है। कुत्ते और बंदरों के हमलों की वजह से जिले में प्रतिदिन 400 से 450 लोग प्रतिदिन एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। कुत्ते काटने के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला एमएमजी और संजयनगर स्थित संयुक्त अस्पताल की इमरजेंसी में भी वैक्सीन (एआरवी) लगवाने की व्यवस्था की गई है। जिले में चार सीएचसी, एक पीएचसी और दो अस्पतालों में एआरवी लगाए जाते हैं। लेकिन इनमें से कहीं पर भी ज्यादा गंभीर मरीजों को सीरम लगवाने की व्यवस्था नहीं हैं। इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, और उन्हें दिल्ली तक दौड़ लगानी पड़ रही है। कुत्ते, बंदर, चूहे या फिर किसी नुकीले दांतों वाले जानवर के काटने पर 48 घंटे के भीतर एआरवी दिया जाना जरूरी है। यदि किसी को कुत्ते या बंदर ने मुंह या धड़ के हिस्से पर काटा है और उससे खून निकल रहा है तो एआरवी के साथ मरीज को सीरम लगवाने की जरूरत पड़ती है।
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा के मुताबिक रेबीज का विषाणु खून के जरिए दिमाग तक पहुंच जाता है, जिसके बाद उसका कोई उपचार नहीं है।

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इमरजेंसी वार्ड में भी एआरवी की सुविधा
कंबाइंड अस्पताल के सीएमएस डॉ. विनोदचंद पांडे ने बताया कि ओपीडी में बैठने वाले डॉक्टरों को एआरवी लिखने के लिए निर्देशित किया गया है और अस्पताल बंद होने तक एआरवी लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा जिले में कुत्ता और बंदरों के आतंक को देखते हुए इमरजेंसी में भी एआरवी लगवाने की व्यवस्था की गई है। लेकिन सीरम लगवाने की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सप्ताह में 10 मरीज हो रहे रेफर
सरकारी अस्पतालों में घाव देखकर एआरवी की डोज निर्धारित की जाती है। इसके अलावा सीरम की जरूरत भी मरीजों को चिकित्सक बताकर रेफर करते है। जिले में प्रतिदिन सप्ताह में आठ से 10 मरीजों को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के लिए सीरम लगवाने को रेफर किया जाता है।
क्या कहते हैं सीएमएस
जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. मनोज चतुर्वेदी का कहना है कि इमरजेंसी में भी एआरवी रखवाए गए हैं और ज्यादा गंभीर मरीज को इंजेक्शन लगाने के निर्देश दिए गए हैं।

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