दिल्ली NCR की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण: जानिए ग्रेप लागू होने के बाद क्या होती है कार्रवाई और किन किन पर पाबंदियां लगती है…

Air Pollution:

Pollution in Delhi NCR News: दिल्ली, नोएडा सहित संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या और इससे निपटने के लिए लागू किए गए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) नियम बनाए गए हैं ।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का मुख्य उद्देश्य
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तैयार किए गए स्तरीकृत उपायों और दिशानिर्देशों का एक ढांचा है। इसे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के स्तर के आधार पर लागू किया जाता है। इसका उद्देश्य प्रदूषण को एक विशेष स्तर से अधिक बिगड़ने से रोकना है। एक बार फिर दिल्ली NCR में ग्रैप टू लागू हो गवाह ताकि हवा में घुल रहे ज़हर को कंट्रोल किया जा सके ऐसा माना जा रहा है कि दिवाली के 1 दो दिन बाद से कुछ पाबंदियां और लग सकती है ताकि धुएं को कम किया जा सके।
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चरण I (खराब) के तहत प्रमुख पाबंदियां
जब दिल्ली-एनसीआर का AQI 201 से 300 के बीच पहुँच जाता है, तो GRAP का चरण I लागू होता है, जिसमें निम्न प्रतिबंध शामिल हैं:
* कूड़ा जलाना (बायोमास बर्निंग): खुले में कचरा या बायोमास जलाने पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई।
* निर्माण कार्य (Construction): निर्माण और विध्वंस स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों (एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव) का कड़ाई से पालन अनिवार्य।
* वाहन: अपनी समय अवधि पूरी कर चुके डीजल और पेट्रोल वाहनों के खिलाफ अभियान। वाहनों के पीयूसी (PUC) प्रमाणपत्रों की जांच।
* होटल/रेस्तरां: भोजनालयों, रेस्तरां और होटलों में कोयले और लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने के कारण
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अक्सर मौसम बदलने के साथ ही बढ़ना शुरू हो जाता है, खासकर अक्टूबर से फरवरी के महीनों में जब हवा की गति धीमी हो जाती है और तापमान गिर जाता है। इसके लिए कई कारक उत्तरदायी हैं:
1. मौसमी और भौगोलिक कारक
* धीमी हवाएं (Wind Speed): सर्दियों के आगमन पर हवा की गति कम होने से प्रदूषक कण निचले वातावरण में ही फंस जाते हैं और छितरा नहीं पाते, जिससे स्मॉग बनता है।
* तापमान का गिरना: ठंडा तापमान प्रदूषक कणों को जमीन के करीब रखता है।
* क्षेत्र की स्थलाकृति: दिल्ली-एनसीआर एक लैंडलॉक क्षेत्र है, जो प्रदूषकों के जमाव को और बढ़ाता है।
2. मानवजनित स्रोत
* वाहनों का उत्सर्जन: दिल्ली-एनसीआर में निजी मोटर गाड़ियों की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इन वाहनों से निकलने वाला धुआं, विशेष रूप से पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों से, प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है।
* निर्माण गतिविधियाँ: सड़क और इमारत निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल (PM10 और PM2.5) एक प्रमुख प्रदूषक है। धूल नियंत्रण उपायों की अनदेखी समस्या को बढ़ाती है।
* औद्योगिक उत्सर्जन: अनधिकृत क्षेत्रों में प्रतिबंधित ईंधन (जैसे कोयला) का उपयोग करने वाले उद्योग और कोयला संयंत्र भी हवा को जहरीला बनाते हैं।
* खुले में कचरा जलाना: रिहायशी इलाकों का औद्योगिक या ठोस कचरा खुले में जलाने से निकलने वाला काला धुआं प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है।
* पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना: पंजाब और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में फसल अवशेष (पराली) जलाने की घटनाएँ (विशेषकर अक्टूबर-नवंबर में) दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।
* पटाखे: त्योहारी सीजन, विशेषकर दीपावली के आसपास, पटाखों से निकलने वाले खतरनाक कण और गैसें AQI को ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंचा सकती हैं।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सामूहिक प्रयास
प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ नागरिकों की भागीदारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नागरिक सलाह
* वाहन रखरखाव: वाहनों के इंजन को ठीक से ट्यून करें और पीयूसी प्रमाणपत्र अपडेट रखें।
* इंजन बंद करें: लाल बत्ती पर इंजन बंद करें और गाड़ी को निष्क्रिय रखने से बचें।
* रिपोर्ट करें: वायु प्रदूषणकारी गतिविधियों, जैसे खुले में कचरा जलाना या धूल प्रदूषण, की रिपोर्ट 311 ऐप, ग्रीन दिल्ली ऐप, या समीर ऐप के माध्यम से करें।
* जन परिवहन का उपयोग: निजी वाहनों के बजाय जहां तक संभव हो, सार्वजनिक परिवहन, हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दें।
* हरियाली: पेड़ लगाएं और हरियाली को बढ़ावा दें।

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