समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं शिवपाल यादव के भतीजे अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह को खोने के बाद चाचा शिवपाल पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैनपुरी उपचुनाव में आगे लाने का फैसला किया। चाचा शिवपाल भी मान गए और दोनों की करीबियों बढ़ने लगी। यह करीबी बढ़ते हुए देख कुछ लोगों को दिक्कत होने लगी। सरकार की ओर से कदम उठाया गया कि शिवपाल यादव की सिक्योरिटी घटा ली गई इतना ही नहीं सीबीआई ने भी गोमती रिवरफ्रंट का केस फिर से तेज कर दिया। जांच अब शुरू हो चुकी है, ना जाने कब शिवपाल को बुला कर बैठा लिया जाए। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि चाचा भतीजे की करीबी कुछ लोग देखना नहीं चाहते। आप भी समझ सकते हैं कौन लोग हैं? लेकिन यदि चाचा भतीजे एक हो गए तो हो सकता है कि उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में इन्हें जनता के बीच दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल मैनपुरी में उपचुनाव हो रहा है यहां से अखिलेश यादव की पत्नी एवं शिवपाल यादव की बहू डिंपल यादव ससुर मुलायम सिंह यादव की विरासत को संजोए रखने के लिए मैदान में है। हालांकि यहां से रघुराज सिंह भाजपा की और से मैदान में है। मुलायम सिंह यादव के रघुराज सिंह काफी करीबी मानें जाते है। अखिलेश-शिवपाल का एक होने भाजपा उम्मीदवार को नुकसान पहुंचा सकता है।