Politics News: हमीरपुर। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट से पूर्व सांसद एवं कद्दावर नेता अब सियासी क्षितिज में हाशिए पर आ गए है। ये अलग-अलग दल से तीन बार सांसद बने थे लेकिन पिछले कुछ सालों से इन्होंने आम चुनाव से दूरी बना ली है। बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी लोकसभा की सीट पर चुनावों में ऐसे नेताओं को मतदाता जनादेश देकर माननीय बनाते हैं जो स्थानीय मुद्दों की अनदेखी कर जातीय रंग में बड़ा फैसला लेते हैं। हमीरपुर-महोबा की लोकसभा सीट में हमीरपुर,राठ,महोबा, चरखारी और तिंदवारी आदि विधानसभाएं आती हैं। इनमें राठ और चरखारी विधानसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक लोधी मतदाता हैं जो किसी भी प्रत्याशी के चुनावी गणित को बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
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आम चुनावों में जातीयता के रंग में लोधी मतदाता लामबंद होकर अपनी बिरादरी के प्रत्याशी पर भरोसा अक्सर जताते हैं। इसीलिए इस संसदीय सीट से सर्वाधिक लोधी जाति के लोग ही चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं।
वर्ष 1952 से लेकर लगातार तीर बार तक सीट पर कब्जा करने वाले एमएल द्विवेदी को यहां के लोधी बिरादरी के एक संत ने पराजित किया था। लोधी मतदाताओं के एकजुटे होने के कारण संत को 54 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे। जातीय समीकरणों के खेल में ही यहां की सीट पर आठ बार लोधी जाति के लोगों का सांसद बनने का मौका मिला है।
जनता दल की लहर में जब पहली बार गंगाचरण राजपूत बने थे सांसद
गंगाचरण राजपूत पड़ोसी उरई (जालौन) के रहने वाले है जिन्होंने वर्ष 1989 में सियासी पारी की शुरूआत की थी। जनता दल में इन्ट्री लेकर ये पहली बार हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट से चुनाव मैदान में आए थे। जनता दल की लहर में इन्होंने कांग्रेस के कब्जे से सीट छीन ली थी। इन्हें 42.9 फीसदी मत मिले थे वहीं कांग्रेस के खाते में 28.3 फीसदी मत आए थे। वर्ष 1991 में राममंदिर मुद्दे पर भाजपा ने यहां की सीट पर कब्जा किया था। गंगाचरण राजपूत 23.4 फीसदी मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे।
भाजपा में इन्ट्री लेकर दो आम चुनावों में लगातार दो बार बने थे सांसद
गंगाचरण राजपूत लोधी बिरादरी से आते है। जिन पर लोधी जाति के लोग नाज करते है। सांसद बनने के लिए गंगाचरण राजपूत ने भाजपा में इन्ट्री ली और 1996 के आम चुनाव में ये फिर सांसद बन गए। इन्हें 39.72 फीसदी मत मिले थे जबकि सपा दूसरे स्थान पर रही। इसके बाद सियासी पारी में गंगाचरण राजपूत 1998 में दोबारा सांसद बने। हालांकि पिछले चुनाव की अपेक्षा गंगाचरण को चार फीसदी मतों का नुकसान हुआ था। पैंतीस से फीसदी से ज्यादा मत लेकर ये लोकसभा पहुंचे थे।
क्रिमिलल से पूर्व सांसद को मिली थी मात, अब सियासी पारी में लगा ब्रेक
हमीरपुर-महोबा संसदीय क्षेत्र में गंगाचरण राजपूत ने सियासी पारी में बड़ा उतार चढ़ाव देखा गया। ये तीन बार सांसद बने थे। वर्ष 1999 के आम चुनाव में भाजपा ने गंगाचरण पर तीसरी बार दांव लगाया था लेकिन बाहुबली और क्रिमिनल प्रत्याशी से इन्हें तगड़ा झटका मिला था। ये 26.81 फीसदी मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे जबकि सपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रही। जातीय समीकरण के फेर में यहां की सीट बसपा के कब्जे में आई थी। बस यहीं गंगाचरण राजपूत राजनीति में हाशिए पर आ गए है।
तत्कालीन डीएम और एसपी से पंगा होने के बाद पूर्व सांसद आए थे चर्चा में Politics News:
पहली बार जनता दल के टिकट से गंगाचरण राजपूत यहां की सीट से सांसद बने थे। तब उनका पंगा हमीरपुर के तत्कालीन डीएम आरसी श्रीवास्तव और एसपी एससी यादव से हो गया था। हमीरपुर और महोबा में जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला गया तो लाठीचार्ज भी किया गया। पूर्व सांसद ने डीएम के बंगले में पहुंचकर बिजली की लाइन बंद करवा दी। बाद में यह मामला विशेषाधिकार समिति में पहुंचा। जिस पर शासन ने कार्रवाई करते हुए डीएम और एसपी को यहां से हटा दिया था।
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