Politics News: भारतीय लोकतंत्र अब तानाशाही तब्दील होता जा रहा है। यह कहते हुए विपक्ष के 8 नेताओं ने यानी सभी दलों के अध्यक्षों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में सीबीआई, ईडी व अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इस पत्र में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का भी हवाला दिया गया है।
ऐसे में सवाल है कि क्या पीएम मोदी की ब्यूरोक्रेसी से विपक्ष डर गया है। नेताओ का कहना है कि प्रधानमंत्री को पता चल सकेगी किस तरह से सरकारी एजेंसियां काम कर रही है इसलिए पत्र लिखा है। अब मीडिया में तरह-तरह की खबरें आने लगी है कोई इसे सही ठहरा रहा है तो कोई गलत बता रहा है। चैनलो को देखेगे तो लगेगा कि पत्र लिखकर विपक्ष अपनी गलतियों को छुपा रहा है। आखिर पत्र लिखने के पीछे विपक्ष की क्या मजबूरी है। दरअसल विपक्ष के नेता इस वक्त ईडी सीबीआई और आयकर विभाग की हो रही लगातार कार्रवाई से डर चुके हैं। उनको पता नहीं कब किसकी बारी आ जाए और वह सलाखों के पीछे चला जाए।
यह भी पढ़े:Noida:रील बनाने की धीवानगी के चक्कर में कटा 18500 का चालान
विपक्ष बार-बार हमला बोल रहा है कि कार्यवाही विपक्ष को कमजोर करने ठिकाने लगाने के लिए की जा रही है। जिस तरह से कार्यवाही हो रही है उसको लेकर विपक्ष के नेताओं में रोष है गुस्सा है। हो भी क्यों ना एक-एक कर सभी नेता जेल जो जा रहे हैं। चर्चाएं की जा रही थी कि मनीष सिसोदिया के बाद अब अरविंद केजरीवाल की बारी है। क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में अरविंद केजरीवाल विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा बन सकते हैं। वैसे तो यह बातें अभी तक बाते ही है। लेकिन दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए यही लग रहा है। आप का गौवा और गुजरात में बहेतरीन प्रदर्शन रहा।
आम आदमी पार्टी ने वहां भी मजबूत पकड़ बनाई और भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा दी। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह सेंध भाजपा के वोट बैंक में नहीं बल्कि कांग्रेस के वोट बैंक में लगी है। दिल्ली में भी कांग्रेस का वोट बैंक की अरविंद केजरीवाल ने खत्म किया है। फिर दिक्कत क्या है।
चिट्ठी लिखने वाले 9 नेता है। जिसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, बीआरएस चीफ के चंद्रशेखर राव, पंजाब के सीएम भगवंत मान, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस लीडर फारूक अब्दुल्ला, राकांपा चीफ शरद पवार, शिवसेना ठाकरे ग्रुप के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
प्रधानमंत्री को लिखी इस चिट्ठी में क्या
आदरणीय प्रधानमंत्रीजी, हमें भरोसा है कि आपको आज भी लगता है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का मनमाना इस्तेमाल यह दिखाता है कि हम एक लोकतंत्र से तानाशाही में तब्दील हो गए हैं। लंबी तलाश के बाद 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। कथित तौर पर गड़बड़ी के आरोप में ये गिरफ्तारी की गई और वह भी बिना कोई सबूत दिखाए।
यह भी पढ़े:Noida News:पांच साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा ये कार चोर
Politics News: सिसोदिया जी के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। यह राजनीतिक षडयंत्र के तहत की गई कार्रवाई है। इस गिरफ्तारी ने पूरे देश की आवाम को गुस्से से भर दिया है। दुनियाभर में मनीष सिसोदिया दिल्ली स्कूल एजुकेशन में बदलाव के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी गिरफ्तारी को दुनियाभर में बदले की भावना से की गई राजनीतिक कार्रवाई के उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है। इससे वह बात भी पुष्ट हो रही है, जिसके बारे में पूरी दुनिया आशंकित है कि भाजपा के तानाशाही शासन के दौरान भारत के लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं।
आपके शासन में 2014 से अब तक जितने राजनेताओं की गिरफ्तारी हुई, छापे मारे गए या पूछताछ हुई, उनमें अधिकतर विपक्षी नेता हैं। मजेदार बात यह है कि उन विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की जांच धीमी पड़ जाती है, जो बाद में भाजपा जॉइन कर लेते हैं। उदाहरण के तौर पर पूर्व कांग्रेस नेता और असम के मौजूदा सीएम हेमंत बिस्व सरमा। सीबीआई और ईडी ने 2014-2015 में शारदा चिटफंड घोटाले में उनके खिलाफ जांच शुरू की। हालांकि जबसे उन्होंने भाजपा जॉइन की, तब से केस आगे नहीं बढ़ा है।
Politics News: इसी तरह सारदा स्टिंग ऑपरेशन केस में तृणमूल नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय ईडी और सीबीआई के रडार पर थे। विधानसभा चुनाव से पहले इन लोगों ने भाजपा जॉइन कर ली और तब से केस में कोई खास तरक्की नहीं हुई है। महाराष्ट्र के नारायण राणे केस को ले लीजिए।