नोएडा में पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद आम आदमी में बढा सुरक्षा का विश्वास, IPS लक्ष्मी सिंह के इस प्लान ने बिगाड़ा बड़े बड़ो का खेल

Police Commissionerate Noida and IPS Laxmi Singh: गौतमबुद्ध नगर को पुलिस कमिश्नरेट बनाने के बाद से यहां निवेश तो बढा ही है। साथ ही अब आम आदमी का सुरक्षा के प्रति विश्वास बढा है। पहले पुलिस कमिश्नर के रूप में आलोक सिंह ने कमान संभाली। उसके बाद दूसरे पुलिस कमिश्नर के रूप में लक्ष्मी सिंह सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत कर रहीं है। उन्होंने जब से चार्ज संभाला है तब से नोएडा में हो रहे हाई प्रोफाइल क्राइम पर लगाम लगाई। रवि काना जैसे बदमाशों को सलाखों के पीछे भेज दिया। इतना ही नही पत्रकार पंकज पाराशर व ब्लेक मैलिंग से जुड़े सभी को जेल भेजा।
पुलिस में हुए अहम बदलाव
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के शहरी परिदृश्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है। लगभग पांच साल पहले, जब यूपी सरकार ने इस दूरगामी निर्णय को लागू किया, तब इसका प्राथमिक उद्देश्य इस तेजी से विकसित हो रहे औद्योगिक और आवासीय क्षेत्र में बढ़ती आपराधिक चुनौतियों पर अधिक प्रभावी ढंग से अंकुश लगाना था। कमिश्नरेट प्रणाली की शुरूआत हुई, जिसमें पुलिस अधिकारियों को मजिस्ट्रेट शक्तियां प्राप्त होती हैं, ने स्थानीय पुलिस को त्वरित निर्णय लेने और अपराधियों पर तत्काल कार्रवाई करने में सशक्त किया है, जिससे अपराधों की रोकथाम और उनके खुलासे में एक नई गति आई है। कमिश्नरेट बनने से पहले, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपराध की प्रकृति में विशेष रूप से संगठित अपराध, संपत्ति संबंधी अपराध, और साइबर धोखाधड़ी का बोलबाला था। इन जटिल अपराधों से निपटने के लिए एक अधिक केंद्रीकृत और कुशल पुलिसिंग मॉडल की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। कमिश्नरेट प्रणाली ने इसी आवश्यकता को पूरा करते हुए पुलिसिंग को अधिक प्रोफेशनल और जवाबदेह बनाया है। इस व्यवस्था के तहत, पुलिस बल को नई तकनीकों, जैसे कि सीसीटीवी निगरानी का व्यापक विस्तार, ड्रोन का उपयोग, और डेटा-आधारित अपराध विश्लेषण, से लैस किया गया है।
छोटे अपराध के साथ संगठित अपराध पर लगाम
बता दें कि इसके परिणामस्वरूप, स्नैचिंग, वाहन चोरी और सेंधमारी जैसे छोटे-मोटे अपराधों से लेकर रंगदारी और संगठित गिरोहों की गतिविधियों पर लगाम कसने में पुलिस को उल्लेखनीय सफलता मिली है। नागरिकों के बीच भी सुरक्षा की भावना में वृद्धि देखी गई है। पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई ने सार्वजनिक विश्वास को मजबूत किया है। सड़कों पर पुलिस की दृश्यता बढ़ी है, और विभिन्न चौराहों तथा भीड़भाड़ वाले इलाकों में पुलिसकर्मियों की तैनाती ने अपराध करने की प्रवृत्ति पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला है। विशेष रूप से महिला सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम, जैसे कि महिला हेल्पडेस्क और पिंक बूथों की स्थापना, ने महिलाओं को अधिक सुरक्षित महसूस करने में मदद की है। हालाँकि, अपराध नियंत्रण एक सतत प्रक्रिया है और चुनौतियाँ हमेशा बनी रहती हैं, लेकिन कमिश्नरेट प्रणाली ने निश्चित रूप से इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पुलिस को बेहतर स्थिति में ला खड़ा किया है। यह एक ऐसा परिवर्तन है जिसने गौतमबुद्ध नगर की कानून व्यवस्था को एक नई दिशा दी है, और भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम और भी स्पष्ट होने की उम्मीद है।

 

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