उत्तराखंड में CM धामी के हटने की अफवाहों पर पुलिस हुई सख्त, तीन फेसबुक पेजों के खिलाफ FIR दर्ज, विपक्ष ने लगाया सचाई दबाने का आरोप

Dehradun/Chief Minister Change News: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हटने की अफवाहों और आपदा राहत कार्यों में बाधा डालने वाली भ्रामक खबरों के खिलाफ पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया है। देहरादून पुलिस ने बीजेपी जिलाध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल की शिकायत पर तीन फेसबुक पेजों—‘आई लव माय उत्तराखंड संस्कृति’, ‘उत्तराखंड वाले’, और ‘जनता जन आंदोलन इरिटेटेड’—के संचालकों के खिलाफ अज्ञात व्यक्तियों पर मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि ऐसी अफवाहें न केवल जनता को गुमराह करती हैं, बल्कि बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जैसे आपदा प्रभावित जिलों में चल रहे राहत और बचाव कार्यों को भी बाधित करती हैं।

पुलिस की कार्रवाई और बीजेपी की शिकायत
बीजेपी जिलाध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने अपनी शिकायत में कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग फोटो और वीडियो के जरिए भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं, जो समाज में अशांति और भ्रम पैदा कर रही हैं। उन्होंने इन पोस्टों को फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्मों पर तेजी से फैलने वाला बताया, जिससे जनप्रतिनिधियों की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(1)(b) और (2) के तहत FIR दर्ज की है। हालांकि, FIR अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है, क्योंकि पुलिस जांच का दायरा इन तीन पेजों तक सीमित नहीं है।

कांग्रेस ने लगाया मीडिया को दबाने का आरोप
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कार्रवाई को मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश सिंह रावत ने कहा, “यह आलोचना को दबाने का प्रयास है। नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें हमेशा होती रहती हैं, लेकिन इसके लिए पत्रकारों और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज करना कानून का दुरुपयोग है।” कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने सवाल उठाया कि जब बीजेपी के ही कुछ नेता कैबिनेट विस्तार की बात कर चुके हैं, तो फिर मीडिया को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने भी इस तरह के बयान दिए थे, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पुलिस की चेतावनी और निगरानी
उत्तराखंड पुलिस ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर झूठी और अपुष्ट जानकारी फैलाना कानूनी अपराध है। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने कहा, “सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। हमारी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल 24 घंटे सक्रिय है।” पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे बिना पुष्टि के कोई भी जानकारी साझा न करें, क्योंकि यह आपदा के समय राहत कार्यों को प्रभावित करता है।

आपदा के बीच अफवाहों का असर
उत्तराखंड के कई जिले भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में हैं, जिससे कई लोगों की जान गई है और कई लापता हैं। ऐसे संवेदनशील समय में मुख्यमंत्री बदलने की अफवाहें न केवल प्रशासनिक कार्यों में बाधा डाल रही हैं, बल्कि जनता में भ्रम भी पैदा कर रही हैं। पुलिस का कहना है कि ऐसी गतिविधियां सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश का हिस्सा हो सकती हैं।

बीजेपी का बचाव, विपक्ष पर पलटवार
उत्तराखंड बीजेपी मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम सरकार को अस्थिर करने और जनता को गुमराह करने वाली पोस्टों के खिलाफ उठाया गया है। उन्होंने विपक्ष पर बीजेपी नेताओं के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की एक बैठक से अनुमति लेकर जल्दी निकलने की घटना को गलत तरीके से पेश किया गया।

कानून का दुरुपयोग या जरूरी कदम?
एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने इस कार्रवाई को “कानून का मजाक” बताते हुए कहा कि ऐसी FIR अदालत में टिक नहीं पाएगी, लेकिन तब तक आरोपी को लंबी कानूनी परेशानी झेलनी पड़ेगी। वहीं, बीजेपी का कहना है कि यह कार्रवाई समाज में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी है।
उत्तराखंड पुलिस ने चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया पर निगरानी जारी रहेगी और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने राज्य में सियासी तनाव को और बढ़ा दिया है, जहां बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

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