साफ हवा की मांग पर पुलिस कार्रवाई, वायरल तस्वीर ने मचाई सनसनी

Delhi Pollution Protest News: दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों से पहले ही हवा जहरीली हो चुकी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई इलाकों में 500 से ऊपर पहुंच गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इसी प्रदूषण के खिलाफ रविवार (23 नवंबर) को इंडिया गेट पर ‘साफ हवा अभियान’ के तहत शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू हुआ, लेकिन यह जल्द ही हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों पर माओवादी नारे लगाने और पुलिस पर पेपर स्प्रे छिड़कने का आरोप लगा। दिल्ली पुलिस ने 23 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि सोशल मीडिया पर एक युवा प्रदर्शनकारी को पुलिसकर्मी के चढ़ने की वायरल तस्वीर ने आक्रोश पैदा कर दिया है।

प्रदर्शन का बैकग्राउंड
दिल्ली में हर साल सर्दियों में स्मॉग का कहर बरपता है, लेकिन इस बार नवंबर के मध्य से ही स्थिति बिगड़ गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 23 नवंबर को दिल्ली का औसत AQI 450 के आसपास रहा, जबकि कुछ इलाकों जैसे आनंद विहार में यह 600 तक पहुंचा। प्रदर्शन ‘दिल्ली क्लीन एयर कोऑर्डिनेशन कमिटी’ द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता, छात्र और सामाजिक संगठन शामिल थे। आयोजकों ने सरकार से लंबी अवधि के उपाय जैसे वाहनों पर GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) सख्ती, पराली जलाने पर रोक और औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण की मांग की। उन्होंने पानी छिड़काव, क्लाउड सीडिंग जैसे ‘सौंदर्यीकरण’ उपायों को अपर्याप्त बताया।

घटना का विवरण
इंडिया गेट के पास सी हक्सागन पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए। प्लेकार्ड्स पर ‘सांस लेने का अधिकार’, ‘क्लीन एयर नाउ’ जैसे नारे लिखे थे। लेकिन पुलिस का दावा है कि प्रदर्शनकारियों ने कर्तव्य पथ को ब्लॉक कर दिया, जिससे एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ बाधित हुए। स्थिति तब बिगड़ी जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पुलिस पर पेपर स्प्रे (मिर्च स्प्रे) का इस्तेमाल किया। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया और 15-23 लोगों को हिरासत में लिया।

सबसे विवादास्पद वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिसमें एक युवा (लगभग 18 वर्षीय) प्रदर्शनकारी को जमीन पर दबोचते हुए पुलिसकर्मी उसके ऊपर चढ़ा नजर आ रहा है। कई यूजर्स ने इसे ‘पुलिस बर्बरता’ करार दिया, जबकि पुलिस ने इसे ‘आत्मरक्षा’ बताया। एक वीडियो में बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों को भी हिरासत में लेते दिखाया गया।

नक्सली स्लोगन का विवाद
दिल्ली पुलिस ने दो अलग-अलग FIR दर्ज कीं – एक कर्तव्य पथ थाने में 6 के खिलाफ, दूसरी संसद मार्ग थाने में 17 के खिलाफ। FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 197 (राष्ट्रीय एकीकरण के खिलाफ आरोप लगाना) जोड़ी गई, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर माओवादी नेता मदवी हिडमा के पक्ष में नारे लगाए – ‘हिडमा अमर रहे’, ‘हर घर से हिडमा निकलेगा’, ‘लाल सलाम हिडमा’। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने इसे ‘नक्सली प्रदर्शन’ बताया और कहा कि प्रदूषण विरोध को नक्सलियों ने हाईजैक कर लिया। हालांकि, आयोजक संगठन ‘साइंटिस्ट्स फॉर सोसाइटी’ ने इन नारों से खुद को अलग करते हुए कहा कि यह ‘अलोकतांत्रिक’ था।

सोशल मीडिया पर #DelhiPollutionProtest ट्रेंड कर रहा है। पूर्व जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार समर्थक पोस्ट्स में पुलिस की आलोचना की जा रही है। एक यूजर ने लिखा, “साफ हवा की मांग संवैधानिक है, पुलिस का आंदोलन दबाना असंवैधानिक।” विपक्षी नेता प्रियंका भारती ने तस्वीर शेयर कर कहा, “इसकी गलती सिर्फ साफ हवा मांगना था।” पर्यावरण कार्यकर्ता विमलेंदु झा ने ट्वीट किया, “साफ हवा मांगने वालों को सजा देना शर्मनाक है।”

दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने पुलिस का समर्थन किया, जबकि विपक्ष ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्र सरकार से माफी की मांग की। इंटरनेशनल मीडिया जैसे रॉयटर्स और सीएनएन ने इसे ‘प्रदूषण विरोध पर पुलिस दमन’ बताया।

आगे की राह
गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां पुलिस ने ‘सुरक्षा प्रोटोकॉल’ का हवाला दिया। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना दिल्ली के प्रदूषण संकट को और उजागर करती है – जहां 2025 में भी पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन और निर्माण कार्य बिना रोक के जारी हैं। सवाल उठता है: क्या साफ हवा की मांग पर हिंसा ही जवाब है, या सरकार लंबे समाधान लाएगी? फिलहाल, वायरल तस्वीरें लोकतंत्र और पर्यावरण अधिकारों पर बहस छेड़ रही हैं।

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