पीएम मोदी तक पहुंची समस्याएंः फ्लैट बायर्स का दर्द यूपी सरकार नहीं पीएमओ करेगा खत्म, जानिए क्या उठाया कदम

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Noida Greater Noida Builders And PMO News in hindi: नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बिल्डर प्रोजेक्ट्स में फंसे फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री और घर को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की एक टीम मंगलवार को प्राधिकरण के सेक्टर-6 कार्यालय पहुंची। टीम ने नोएडा-ग्रेनो प्राधिकरण व यूपी रेरा के अधिकारियों, बिल्डरों व फ्लैट खरीदारों के साथ बैठक की। पीएम मोदी तक फ्लैट्स बायर्स की समस्याएं पहंुची है इस लिए अब यूपी सरकार की बजाय मामले में पीएमओ ने दखल दी है।

पीएमओ की टीम नोएडा प्राधिकरण पहुंची
बता दें कि पीएमओ की टीम डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल के नेतृतव में प्राधिकरण कार्यालय पहुंची। इस दौरान बिल्डरों में ऐस, प्रतीक, गुलशन, आरजी समेत कुछ और ग्रुपों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस दौरान अलग-अलग सभी का पक्ष जानकर समस्याएं भी पूछी गईं। प्राधिकरण स्तर पर यह जानकारी ली गई कि अमिताभकांत समिति की सिफारिशों पर बनी जीरो पीरियड पॉलिसी में कितने फ्लैटों की रजिस्ट्री हुई और कितना बकाया जमा हुआ। फंसी व अधूरी ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं की भी जानकारी जुटाई गई। इसी तरह रेरा से आए अधिकारियों व फ्लैट खरीदारों से उनका पक्ष जाना। बिल्डरों से पूछा गया कि आखिर नोएडा-ग्रेनो में फ्लैटों की इतनी मांग और कीमत होने के बाद भी परियोजना समय पर पूरी करने में कौन सी समस्याएं आ रही हैं।
ये अफसर रहे मौजूद
इस बैठक में ग्रेनो प्राधिकरण के सीईओ रवि कुमार एनजी, एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव, नोएडा प्राधिकरण से एसीईओ वंदना त्रिपाठी, संजय खत्री समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए। रेरा से रिकवरी ऑफिसर व अन्य अधिकारी मौजूद रहे। सभी से उनके पक्ष भी जानने की कोशिश की गई।
अटकी है हजारों बायर्स की रजिस्ट्रियां
हजारों फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्रियां अटकी हुई है। बायर्स की तरफ से पीएमओ में भी शिकायत कर गुहार लगाई जाती रही है। अमिताभकांत समिति का गठन भी केंद्र स्तर से फ्लैट खरीदारों का आशियाना दिलाने और फंसी बिल्डर परियोजनाओं को गति देने के लिए किया गया था। इसके बाद इस समिति की कुछ सिफारिशों को लागू कर यूपी सरकार ने जीरो पीरियड पॉलिसी बनाकर उसे प्रभावी किया है।

ग्रेनो व ग्रेनो वेस्ट से ज्यादा खरीदार आए

पीएमओ स्तर से फीडबैक लेने के लिए कई फ्लैट बायर्स को बुलाया गया था। इनमें अधिकतर ग्रेनो वेस्ट और ग्रेटर नोएडा के थे। इन खरीदारों के बारे में प्राधिकरण को जानकारी नहीं थी लेकिन पीएमओ को सभी प्रोजेक्ट्स व समस्याओं को लेकर पूरी जानकारी थी। फ्लैट खरीदारों से उनका संघर्ष, प्राधिकरण या बिल्डर स्तर पर हो रही समस्याओं और उनकी नजरों में संभावित समाधान के बारे में जानकारी ली गई। अमिताभकांत समिति की सिफारिशों पर दिसंबर-2023 में आई जीरो पीरियड पॉलिसी के बाद रजिस्ट्री व परियोजनाओं का ब्योरा नोएडा प्राधिकरण की तरफ से दिया गया।
कितनी रजिस्ट्रियां है बकाया
इस बैठक के दौरान बताया गया कि अब तक 3220 फ्लैटों की रजिस्ट्रियां हुईं हैं। साथ ही, प्राधिकरण का 750 करोड़ रुपये बकाया जमा हुआ है। पॉलिसी में 56 परियोजनाएं शामिल हुईं थीं। इनमें से 35 परियोजनाओं के बिल्डरों ने कुल बकाया में से 25 प्रतिशत राशि जमा कर दी है। कुछ बिल्डरों ने कम राशि जमा की है। चार ऐसे बिल्डर हैं जिन्होंने पैसे जमा करने के लिए सहमति भी नहीं दी और छह ने सहमति देने के बाद भी बकाया जमा नहीं किया है। करीब 21 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्रियां प्रस्तावित हैं। इस पॉलिसी में शुरुआत के दो साल के जीरो पीरियड का लाभ देते हुए 56 बिल्डरों के 1500 करोड़ रुपये छोड़ गए हैं। वहीं, 13 बिल्डरों को एनजीटी प्रभाव क्षेत्र की छूट देते हुए 180 करोड़ रुपये की और राहत दी गई है। बकाया न जमा करने वाले बिल्डरों के खिलाफ प्राधिकरण कार्रवाई भी कर रहा है। हालांकि प्राधिकरण की और से 12 बिल्डरों के खिलाफ फंड डायवर्जन की जांच के लिए ईओडब्ल्यू को भी शिकायत दी गई है।

 

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