पीएम मोदी ने 2025 में इन देशों में की यात्राएँ, भारत हित में बढते उनके कूटनीतिक कदम

नई दिल्ली से विशेष रिपोर्ट। वर्ष 2025 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों को सशक्त करने का सबसे व्यस्त वर्ष रहा है। इस वर्ष पीएम मोदी ने 23 देशों की यात्रा की और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका को पहले से कहीं अधिक मजबूती से प्रस्तुत किया। इसी दौरान उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के कई अहम कदम उठाए, जिससे भारत के हित को सीधा लाभ मिला है। कई देशों के साथ भारत की आर्थिक एवं कूटनीति रिश्ते मजबूत हुए है। खास तौर से इस्लामी देशों के साथ। जिनके राष्ट्र अध्यक्षों ने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा।
वर्ष 2025 में प्रमुख विदेशी दौरे
फ्रांस (फरवरी): पीएम मोदी ने फरवरी 10-12, 2025 को फ्रांस की यात्रा की, जहाँ उन्होंने बिलेटरल डिफेंस, व्यापार और तकनीकी सहयोग पर विस्तृत बातचीत की। पेरिस में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी से भारत-फ्रांस सहयोग को नई दिशा मिली।
संयुक्त राज्य अमेरिका (फरवरी):  फ्रांस के बाद मोदी ने यूनाइटेड स्टेट्स का दौरा किया और वहाँ रणनीतिक और आर्थिक चर्चाएँ कीं। अमेरिका के साथ निवेश, सुरक्षा और टेक्नोलॉजी साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बल दिया गया।
थाईलैंड –  श्रीलंका (अप्रैल):  बिमस्टेक और क्षेत्रीय सहयोग मंचों के दौरान थाईलैंड में मोदी की उपस्थिति से क्षेत्रीय सुरक्षा और समुद्री सहयोग को बल मिला। श्रीलंका में भारत ने द्विपक्षीय व्यापार, पर्यटन और आर्थिक निवेश को संबोधित किया, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका मजबूत हुई।
मॉरीशस (मार्च):  मॉरीशस में पीएम मोदी ने राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लिया और द्विपक्षीय साझेदारी पर कई समझौते संपन्न किए, जिनमें आर्थिक, निवेश और समुद्री सुरक्षा समेत विविध क्षेत्रों का समावेश था। भारत-मॉरीशस सहयोग का अस्तित्व दृढ़ हुआ।
साइप्रस,  कनाडा,  क्रोएशिया (जून):  पीछले मध्य वर्ष में मोदी ने यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों का दौरा किया, जिसमें साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया शामिल हैं। इन मुलाकातों के दौरान व्यापार, शिक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और तकनीक के क्षेत्रों में डवन् और सहयोग पर चर्चा हुई।
जापान और चीन (अगस्त-सितंबर):  पीएम मोदी ने अगस्त के अंत में जापान के दौरे में व्यापार, रक्षा और निवेश साझेदारी को नई ऊँचाई दी। इसके बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के समिट के लिए चीन की यात्रा भी की, जहाँ दोनों देशों ने क्षेत्रीय सुरक्षा तथा व्यापार संतुलन जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण बातचीत की।
घाना, त्रीनीदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया (जुलाई): जुलाई में मोदी ने 5 देशों की विस्तृत यात्रा पूरी की, जो भारत की Global South Strategy का हिस्सा रही। घाना, त्रीनीदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया में भारत के राजनीतिक, आर्थिक और निवेश साझेदारी को बड़े मंच और समर्थन मिला। इस यात्रा ने दक्षिणी गोलार्ध के देशों के साथ संवाद को नया जीवन दिया और भारत के द्वी-दिशीय हितों को पेश किया।
जॉर्डन, इथियोपिया और  ओमान (दिसंबर):  2025 के अंत तक मोदी ने पश्चिम एशिया और पूर्वी अफ्रीका में तीन देशों की यात्रा की। जॉर्डन में भारत-मिडिल ईस्ट ट्रेड और ऊर्जा साझेदारी में विस्तार होता दिखा।
इथियोपिया में भारत-इथियोपिया ने रणनीतिक भागीदारी और निवेश से समझौते किए, जिसमें डेटा सेंटर, ऋण सुधार और रोजगार सृजन के प्रोग्राम शामिल हैं।
ओमान के साथ व्यापक द्विपक्षीय आर्थिक समझौतों पर बातचीत हुई, जिससे भारतीय निवेशकों के लिए और सहयोग के मार्ग खुले।

विदेश यात्राओं का भारत हित में प्रभाव
पीएम मोदी का 2025 यात्रा कैलेंडर भारत को वैश्विक मंच पर रणनीतिक साझेदार के रूप में स्थापित करता है। विदेश यात्रा के दौरान न केवल द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और तकनीक सहयोग पर भी मजबूत सहमति बनी है।

आर्थिक सहयोग में प्रगति
फ्रांस, अमेरिका, जापान जैसे देशों के साथ व्यापार, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा सुरक्षा में समझौते भारत-के हित में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। जुलाई में हुई पांच-देश यात्रा ने भारत को ग्लोबल साउथ नेटवर्किंग में शामिल किया और नई आर्थिक संभावनाएँ पैदा कीं, खासकर अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में।

रणनीतिक साझेदारी और सुरक्षा
चीन और जापान के साथ बैठकें क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और व्यापार संतुलन के लिए महत्वपूर्ण रहीं। वही कुल मिलाकर कहा जाए तो
वर्ष 2025 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे व्यस्त और प्रभावशाली कूटनीतिक वर्षों में से एक साबित हुआ है। भारत और दुनिया के प्रमुख देशों के साथ उनकी यात्राओं ने न केवल रणनीतिक संबंधों को मजबूती दी, बल्कि व्यापार, सुरक्षा, निवेश और ऊर्जा सहयोग जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक परिणाम पेश किए। इन कदमों ने भारत की वैश्विक शक्ति और अंतरराष्ट्रीय प्रभावित क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि की है।

 

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