प्लूटोनियम उत्पादन में 10 करोड़ गैलन से अधिक खतरनाक तरल कचरा उत्पन्न

World War II/Washington News: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शुरू हुए परमाणु हथियार कार्यक्रम के तहत अमेरिका ने 1944 से 1988 तक प्लूटोनियम उत्पादन के दौरान 10 करोड़ गैलन (लगभग 378 मिलियन लीटर) से अधिक खतरनाक तरल अपशिष्ट उत्पन्न किया। इस अपशिष्ट में रासायनिक और रेडियोएक्टिव पदार्थ शामिल थे, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। आधिकारिक रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अवधि में कुल 100 मीट्रिक टन प्लूटोनियम का उत्पादन किया गया, जो मुख्य रूप से हनफोर्ड साइट (वाशिंगटन राज्य) और सवाना रिवर साइट (दक्षिण कैरोलिना) जैसी सुविधाओं में हुआ।

यह जानकारी अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DOE) की पर्यावरणीय प्रबंधन रिपोर्ट्स और हनफोर्ड चुनौती नामक सरकारी दस्तावेजों से सामने आई है। हनफोर्ड साइट अकेले मनहट्टन प्रोजेक्ट का हिस्सा थी, जहां प्लूटोनियम-239 का बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ। उत्पादन प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले रिएक्टरों से निकलने वाला तरल कचरा भूमिगत टैंकों में स्टोर किया गया, लेकिन लीकेज और दूषित राइफ्टवाटर की समस्या आज भी बनी हुई है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) के अनुसार, इस अपशिष्ट में यूरेनियम, सेसियम-137, स्ट्रॉन्शियम-90 जैसे रेडियोएक्टिव आइसोटोप और नाइट्रिक एसिड जैसे रासायनिक पदार्थ शामिल हैं, जो कैंसर, जेनेटिक म्यूटेशन और मिट्टी-पानी के दीर्घकालिक प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।

1944 से 1988 तक के 44 वर्षों में उत्पादित 100 मीट्रिक टन प्लूटोनियम का उपयोग मुख्य रूप से परमाणु बमों और मिसाइलों में किया गया। शीत युद्ध के दौरान यह उत्पादन चरम पर था, लेकिन 1980 के दशक में पर्यावरणीय चिंताओं के कारण कई रिएक्टर बंद कर दिए गए। वर्तमान में, DOE इन साइट्स पर सफाई अभियान चला रहा है, जिसमें अरबों डॉलर खर्च हो रहे हैं।

हनफोर्ड में अभी भी 56 मिलियन गैलन से अधिक अपशिष्ट टैंकों में फंसा हुआ है, और पूर्ण सफाई में दशकों लग सकते हैं|

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