पीएम मोदी,गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका

Amendment to the Citizenship Act

जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पर नागरिकता अधिनियम में संशोधन के जरिए देश की एकता व अखंड़ता को खतरे में डालने तथा धर्म के आधार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने के आरोप में हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई है।

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एडवोकेट पूरणचन्द्र सेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुदेश बंसल ने मामले में 23 सितंबर को दोपहर 2 बजे सुनवाई तय की हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता एडवोकेट से बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से जारी सनद पेश करने, याचिका की कॉपी महाधिवक्ता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को देने और उनसे अदालत की सहायता करने को कहा है। अदालत ने लक्ष्मणगढ़, अलवर की न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिकाकर्ता की ओर से दर्ज की गई शिकायत व इस पर हुई कार्रवाई का रिकार्ड भी पेश करने को कहा है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्षता और अनुच्छेद- 15 के विपरीत है। इस संशोधन के कारण मुस्लिमों के साथ भेदभाव हुआ है। देशभर में अराजकता का माहौल उत्पन्न हुआ। इससे देश की एकता और अखंडता को खतरा उतपन्न हुआ है। संशोधन के बाद देशभर में अनेक स्थानों पर सांप्रदायिक घटनाएं हुईं लेकिन, पुलिस ने या तो एफआईआर दर्ज नहीं की या फिर आधी-अधूरी की है। याचिकाकर्ता ने मामले में पुलिस पर अनदेखी और अदालतों पर निष्क्रियता का आरोप भी लगाया है।

याचिकाकर्ता एडवोकेट पूरणचंद्र सेन ने 12 अक्टूबर 2020 को अलवर जिले के गोविंदगढ़ थाने में संज्ञेय अपराध की रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज नहीं होने पर एसपी को आवेदन भेजने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई । इसके बाद उन्होंने लक्ष्मणगढ़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में आपराधिक शिकायत पेश की थी। मजिस्ट्रेट ने 21 अक्टूबर 2020 क्षेत्राधिकार से बाहर बताकर शिकायत को खारिज कर दिया था। इस आदेश को सीधे ही हाईकेार्ट में चुनौती देने पर पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिविजन करने के निर्देश दिए थे। ट्रायल कोर्ट ने 20 फरवरी 2025 को रिविजन भी खारिज कर दी। याचिकाकर्ता का कहना है कि संज्ञेय अपराध की सूचना पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है लेकिन, पुलिस ने ऐसा नहीं किया और ट्रायल कोर्ट ने भी कुछ नहीं किया।

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