Patna News: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) प्रमुख एमके स्टालिन के हालिया बिहार दौरे को लेकर सियासी विवाद छिड़ गया है। बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म पर की गई विवादास्पद टिप्पणी को लेकर तीखा हमला बोला है। भंडारी ने एनडीटीवी से बात करते हुए सवाल उठाया कि क्या एमके स्टालिन राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ मंच पर खड़े होकर अपने बेटे की सनातन धर्म पर की गई टिप्पणी को दोहरा रहे है।
उदयनिधि स्टालिन ने सितंबर 2023 में चेन्नई में आयोजित एक ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ में कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे डेंगू, मलेरिया और कोरोना जैसे रोगों की तरह “खत्म” कर देना चाहिए। इस बयान ने देशभर में तीव्र विवाद को जन्म दिया था, जिसमें बीजेपी ने इसे “नरसंहार की मांग” करार देते हुए तीखी आलोचना की थी। उदयनिधि ने बाद में सफाई दी थी कि उनका इरादा सनातन धर्म के अनुयायियों के खिलाफ नरसंहार का आह्वान करना नहीं था, बल्कि वे इसके द्वारा सामाजिक भेदभाव और जातिगत असमानता को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं की आलोचना कर रहे थे।
बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इस मुद्दे को फिर से उठाते हुए कहा, “अगर स्टालिन के बेटे अपनी बात पर कायम हैं कि ‘मैं सनातन धर्म को मिटाकर ही दम लूंगा,’ तो इसका जवाब राहुल गांधी, लालू यादव और नीतीश कुमार को देना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
वहीं, डीएमके ने उदयनिधि के बयान का बचाव करते हुए कहा था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। डीएमके प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने कहा था कि सनातन धर्म को खत्म करने की बात का मतलब कठोर जाति व्यवस्था को समाप्त करना है, न कि किसी समुदाय के खिलाफ नरसंहार का आह्वान।
एमके स्टालिन ने भी अपने बेटे का समर्थन करते हुए कहा था कि सनातन धर्म का इस्तेमाल कुछ लोग महिलाओं के खिलाफ दमनकारी प्रथाओं को बनाए रखने के लिए करते हैं। उन्होंने बीजेपी पर इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने का आरोप लगाया था।
यह विवाद उस समय फिर से सुर्खियों में आया जब स्टालिन ने बिहार का दौरा किया, जहां वे इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ मंच साझा कर सकते हैं। बीजेपी ने इसे अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए डीएमके और कांग्रेस पर हमला बोला है, यह दावा करते हुए कि सनातन धर्म पर टिप्पणी इंडिया गठबंधन की विचारधारा को दिखा रही है।
हालांकि, कांग्रेस ने इस मुद्दे से खुद को अलग करते हुए कहा था कि वह किसी भी धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने में विश्वास नहीं रखती। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पाटोले ने बीआर अंबेडकर के ‘सर्व धर्म समभाव’ के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा था कि पार्टी किसी के बयान की जिम्मेदारी नहीं ले सकती।
यह विवाद न केवल तमिलनाडु और बिहार की राजनीति में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच समन्वय और विचारधारा पर सवाल उठ रहे हैं। उदयनिधि की टिप्पणी और उसका समर्थन करने वाले डीएमके के रुख ने बीजेपी को विपक्षी गठबंधन पर हमला करने का मौका दिया है।
इस बीच, उदयनिधि ने हाल ही में फिर से अपने रुख को दोहराते हुए कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं और माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने द्रविड़ नेताओं पेरियार, अन्नादुरई और करुणानिधि के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी महिलाओं के खिलाफ दमनकारी प्रथाओं के विरोध में थी।
यह मुद्दा आने वाले समय में और तूल पकड़ सकता है, क्योंकि बीजेपी और डीएमके के बीच सनातन धर्म को लेकर वैचारिक टकराव और गहरा हो रहा है।
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