Patna/Bihar News: पटना के अटल पथ पर हुए हिंसक प्रदर्शन और आगजनी की घटना ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। यह प्रदर्शन 15 अगस्त को इंद्रपुरी इलाके में एक कार में दो मासूम बच्चों, लक्ष्मी (7) और दीपक (5), की रहस्यमय मौत के विरोध में हुआ। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते गुस्साई भीड़ ने अटल पथ पर टायर जलाकर सड़क जाम कर दी, पुलिस पर पथराव किया, और डायल 112 की दो बाइकें तथा मादक पदार्थ निषेध विभाग की एक स्कॉर्पियो गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की गाड़ी पर भी पथराव हुआ, और सात पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें एक सब-इंस्पेक्टर की हालत गंभीर बताई जा रही है।
पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने बताया, “घटना के संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है। शुरुआत में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था, और पूछताछ के बाद कुल 62 लोगों को हिरासत में लिया गया है।” पुलिस ने 250 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है।
विपक्षी दलों का बयान
विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सत्तारूढ़ सरकार पर तीखा हमला बोला है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रवक्ता ने कहा, “यह घटना बिहार में कानून-व्यवस्था की विफलता का जीता-जागता सबूत है। दो बच्चों की रहस्यमय मौत के बाद भी पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे लोगों का गुस्सा भड़क उठा। नीतीश सरकार जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह नाकाम रही है।” उन्होंने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए और दोषियों को तुरंत सजा दी जाए।
कांग्रेस के स्थानीय नेता ने भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “पुलिस की लापरवाही और सरकार की उदासीनता ने लोगों का भरोसा तोड़ा है। अगर समय रहते कार्रवाई की गई होती, तो यह हिंसा टाली जा सकती थी। हम मृत बच्चों के परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेंगे।”
सत्तारूढ़ दलों का बयान
सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस हिंसक प्रदर्शन की निंदा की है और इसे “अराजकता फैलाने की साजिश” करार दिया है। बिहार सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। बच्चों की मौत की घटना की जांच में किसी भी कोताही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन सड़क जाम करना, पुलिस पर हमला करना और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।”
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, “विपक्ष इस दुखद घटना का राजनीतिकरण कर रहा है। यह समय एकजुट होकर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का है, न कि अराजकता को बढ़ावा देने का। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उपद्रवियों को हिरासत में लिया है, और कानून अपना काम करेगा।”
घटना का विवरण
25 अगस्त की शाम करीब 6 बजे इंद्रपुरी के पास सैकड़ों लोग अटल पथ पर जमा हुए और टायर जलाकर सड़क जाम कर दी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, कांच की बोतलें फेंकी, और कई वाहनों में तोड़फोड़ की। इस दौरान बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की गाड़ी पर भी हमला हुआ, और उनकी गाड़ी को पुलिस ने स्कॉट कर सुरक्षित निकाला। घटना में सात पुलिसकर्मी घायल हुए, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
जनता और पुलिस का पक्ष
स्थानीय लोगों, विशेष रूप से मृत बच्चों की मां किरण ने आरोप लगाया कि पुलिस इस मामले में “लीपापोती” कर रही है। उनका कहना है, “मेरे बच्चों की हत्या हुई है, उनके गले और हाथ पर चोट के निशान थे। पुलिस इसे हादसा बता रही है, लेकिन हम इंसाफ चाहते हैं।” दूसरी ओर, पुलिस का दावा है कि सीसीटीवी फुटेज में बच्चे ट्यूशन टीचर के यहां से सकुशल लौटते दिखे, और इसे हादसा माना जा रहा है। फिर भी, पुलिस ने कहा कि सभी पहलुओं से जांच की जा रही है।
निष्कर्ष
यह घटना बिहार में कानून-व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठा रही है। विपक्ष ने इसे सरकार की नाकामी करार दिया है, जबकि सत्तारूढ़ दल इसे विपक्ष की साजिश बता रहे हैं। इस बीच, मृत बच्चों के परिवार और स्थानीय लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है, लेकिन इस मामले की जांच और इसके नतीजे आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को और गर्म कर सकते हैं।
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