Parliament and Dog News: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन हंगामा और बहस की भरमार रही। विपक्ष और सत्ताधारी दल एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) जैसे मुद्दों पर आमने-सामने आए, लेकिन सदन के बाहर एक नया विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद रेणुका चौधरी अपने पालतू कुत्ते को लेकर संसद परिसर पहुंच गईं, जिस पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है। बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने इसे विशेषाधिकार का दुरुपयोग बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
घटना का पूरा विवरण
सोमवार को संसद सत्र की शुरुआत होते ही रेणुका चौधरी अपनी कार में कुत्ते के साथ संसद पहुंचीं। वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि छोटा सा पालतू डॉगी उनके साथ था। चौधरी ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि यह कोई जानबूझकर की गई हरकत नहीं थी। उनके अनुसार, संसद जाते वक्त सड़क पर एक स्कूटर और कार की टक्कर हो गई, जिसमें यह छोटा पिल्लू फंस गया था। उन्होंने इसे बचाने के लिए कार में बिठा लिया और संसद पहुंचने पर घर भेज दिया। चौधरी ने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, “इसका भी पास बना दो… सरकार को शायद जानवर पसंद नहीं हैं। इतना छोटा सा कुत्ता है, काटता कौन है? काटने वाले तो संसद के अंदर बैठे हैं, जो सरकार चला रहे हैं।”
यह घटना सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के संदर्भ में भी चर्चा में है, जिसमें आवारा कुत्तों को स्टेरलाइजेशन और इम्यूनाइजेशन के बाद सड़कों पर छोड़ने का आदेश दिया गया है। चौधरी, जो जानवरों के अधिकारों की पैरोकार रही हैं, ने इस फैसले का स्वागत किया था। उन्होंने कहा, “मूक प्राणी की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है, लेकिन इसे बड़ा मुद्दा बना दिया गया। क्या सरकार के पास और कोई काम नहीं?”
बीजेपी का तीखा प्रहार
बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने इस घटना को संसद की गरिमा पर आघात बताया। उन्होंने कहा, “रेणुका चौधरी ने कुत्ते को संसद में लाकर विशेषाधिकार का दुरुपयोग किया है। लोकसभा और राज्यसभा जनता की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि व्यक्तिगत मनोरंजन का स्थान। यह लोकतंत्र पर कुठाराघात है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” पाल ने इसे “संसद का अपमान” करार देते हुए स्पीकर से हस्तक्षेप की मांग की।
बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी चौधरी के बयान पर निशाना साधा। पूर्व कांग्रेस नेता टॉम वडक्कन ने कहा, “रेणुका जी को थिएटर में जाना चाहिए, संसद में नहीं। वे पहले ट्रैक्टर पर सवार होकर आई थीं, अब कुत्ता। लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान नहीं करतीं।”
सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से वायरल हो गया। मीडिया के एक वीडियो पोस्ट में चौधरी का बयान शेयर किया गया, जिस पर 1,000 से ज्यादा व्यूज हो चुके हैं। कुछ यूजर्स ने इसे हास्यपूर्ण बताया, तो कई ने बीजेपी के विरोध को “ओवररिएक्शन” कहा। एक यूजर ने लिखा, “कुत्ता निर्दोष है, असली काटने वाले तो सदन में हैं!” वहीं, अन्य ने संसद की गरिमा का हवाला देकर कार्रवाई की मांग दोहराई।
कांग्रेस पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी के “ड्रामा” वाले बयान पर पलटवार किया, जो इस सत्र का एक अन्य बड़ा मुद्दा है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद सत्र के दौरान विपक्ष-सरकार के टकराव को और भड़का सकता है। एक तरफ जानवरों के प्रति संवेदनशीलता का मुद्दा उठा, वहीं दूसरी ओर संसदीय मर्यादा की बहस। सत्र 19 दिसंबर तक चलने वाला है, और ऐसे छोटे-छोटे विवाद बड़े हंगामे का रूप ले सकते हैं।
यह घटना रेणुका चौधरी के पुराने विवादों को भी याद दिला रही है, जैसे 2018 में पीएम मोदी के “रामायण” वाले टिप्पणी पर हंगामा। लेकिन इस बार फोकस जानवरों के अधिकारों पर है। क्या यह मुद्दा सदन में चर्चा का विषय बनेगा? आने वाले दिनों में साफ होगा।

