Paris/Washington News: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिगिट मैक्रों ने अमेरिकी दक्षिणपंथी पॉडकास्टर और यूट्यूबर कैंडेस ओवेन्स के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। यह मामला ब्रिगिट मैक्रों की लिंग पहचान को लेकर ओवेन्स द्वारा किए गए विवादास्पद दावों से जुड़ा है, जिसने वैश्विक स्तर पर सुर्खियां बटोरी थी।
क्या है विवाद?
कैंडेस ओवेन्स ने अपनी यूट्यूब और पॉडकास्ट सीरीज “Becoming Brigitte” में दावा किया कि फ्रांस की प्रथम महिला ब्रिगिट मैक्रों जन्म से पुरुष थीं और उनका असली नाम जीन-मिशेल ट्रोग्नेक्स है। ओवेन्स ने यह भी आरोप लगाया कि ब्रिगिट और उनके भाई जीन-मिशेल एक ही व्यक्ति हैं, और मैक्रों दंपति के बीच खून का रिश्ता है। इन दावों को उन्होंने सोशल मीडिया पर जोर-शोर से प्रचारित किया, जिसके बाद यह विवाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया।
मैक्रों दंपति की प्रतिक्रिया
मैक्रों दंपति ने इन दावों को “झूठा, अपमानजनक और बदनाम करने वाला” करार देते हुए अमेरिका के डेलावेयर सुपीरियर कोर्ट में ओवेन्स के खिलाफ 218 पन्नों की शिकायत दर्ज की। मैक्रों के वकील टॉम क्लेयर ने कहा, “ओवेन्स ने जानबूझकर मैक्रों परिवार को नुकसान पहुंचाने, बदनाम करने और सोशल मीडिया के जरिए वित्तीय लाभ कमाने के लिए यह अभियान चलाया।” शिकायत में ओवेन्स से हर्जाने की मांग की गई है।
मैक्रों ने अपने बयान में कहा कि ओवेन्स को उनके बयानों को वापस लेने के कई मौके दिए गए, लेकिन उन्होंने हर बार इनकार किया। अब यह मामला अदालत में है, और मैक्रों दंपति को उम्मीद है कि यह मुकदमा सच्चाई को सामने लाएगा और इस मानहानि अभियान को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।
कैंडेस ओवेन्स का पक्ष
कैंडेस ओवेन्स ने इस मुकदमे को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” और “बुलीइंग” करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि वह अपनी पत्रकारिता की प्रतिष्ठा इस थ्योरी पर दांव पर लगाने को तैयार हैं। ओवेन्स ने फ्रांसीसी पत्रकार जेवियर पौसार्ड के साथ एक इंटरव्यू में भी इस मुद्दे को उठाया, जिन्होंने इस विषय पर एक बेस्टसेलर किताब भी लिखी है।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद पहली बार 2021 में तब शुरू हुआ, जब यूट्यूबर अमंडाइन रॉय और पत्रकार नताशा रे ने एक वायरल वीडियो में ब्रिगिट के जेंडर को लेकर सवाल उठाए। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया, जिसे अमेरिका में ओवेन्स और टकर कार्लसन जैसे ट्रंप समर्थक पत्रकारों ने और हवा दी।
ब्रिगिट ने पहले भी इस तरह के दावों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की थी। 2021 में रॉय और रे के खिलाफ फ्रांस में मुकदमा दायर किया गया, जिसमें निचली अदालत ने दोनों को दोषी ठहराते हुए 13,000 यूरो (लगभग 11.7 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया। हालांकि, पेरिस की अपीली अदालत ने इस फैसले को पलट दिया, जिसके बाद ब्रिगिट और उनके भाई ने फ्रांस की सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
वैश्विक प्रतिक्रिया
इस मामले ने न केवल फ्रांस, बल्कि अमेरिका और रूस तक में चर्चा बटोरी है। नताशा रे ने 2024 में रूस में राजनीतिक शरण मांगी, दावा करते हुए कि फ्रांस में उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दबाई जा रही है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस विवाद को महिलाओं और ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ साइबरबुलिंग का मामला बताया है।
मैक्रों दंपति की निजी जिंदगी
इमैनुएल मैक्रों (46) और ब्रिगिट मैक्रों (72) की उम्र में 24 साल का अंतर हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। ब्रिगिट, मैक्रों की स्कूल टीचर थीं, जब उनकी मुलाकात 15 साल की उम्र में हुई थी। उनकी प्रेम कहानी और शादी को लेकर पहले भी कई सवाल उठे हैं, लेकिन इस बार यह विवाद उनकी निजी गरिमा और फ्रांसीसी राजनीति की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े कर देते थे।
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