ट्रम्प ने इस सप्ताह इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मिलकर यह योजना पेश की, जो इजरायल-हमास युद्ध को समाप्त करने का दावा करती है। योजना के प्रमुख बिंदुओं में बंधकों की 72 घंटों के अंदर रिहाई, इजरायली सेना की आंशिक वापसी, हमास का निरस्त्रीकरण और गाजा में ‘नई गाजा’ का पुनर्निर्माण शामिल है। इसमें ट्रम्प के नेतृत्व में एक ‘पीस बोर्ड’ का गठन और फिलिस्तीनियों व अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक अस्थायी सरकार का प्रावधान भी है। लेकिन योजना हमास की स्वीकृति पर निर्भर है और कई विवरणों को वार्ताकारों पर छोड़ दिया गया है।
इसके विपरीत, 22 सितंबर 2025 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान ट्रम्प से मिले आठ मुस्लिम बहुल देशों (सऊदी अरब, यूएई, कतर, मिस्र, जॉर्डन, तुर्की, इंडोनेशिया और पाकिस्तान) के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त ड्राफ्ट प्रस्तुत किया था। इस ड्राफ्ट में इजरायल की गाजा से पूर्ण वापसी, वेस्ट बैंक के कब्जे वाले क्षेत्रों का कोई विलय न होना और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के दो-राज्य समाधान पर आधारित न्यायपूर्ण शांति का मार्ग शामिल था। डार ने संसद में इस ड्राफ्ट की प्रति पढ़ते हुए जोर दिया कि मूल प्रस्ताव में पूर्ण वापसी और तत्काल युद्धविराम पर फोकस था, जो ट्रम्प की योजना में नहीं है। उन्होंने कहा, “मैंने स्पष्ट कर दिया है कि ट्रम्प के 20 बिंदु हमारे नहीं हैं। हमारे ड्राफ्ट में बदलाव किए गए। मेरे पास इसका रिकॉर्ड है।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुरुआत में ट्रम्प के सोशल मीडिया पोस्ट का स्वागत किया था, लेकिन डार ने स्पष्ट किया कि यह सामान्य प्रतिक्रिया थी और योजना की बारीकियों का पूर्व ज्ञान नहीं था। जैसे ही अंतर आया, आठों देशों ने संयुक्त बयान जारी कर अपनी स्थिति दर्ज की, जिसमें तत्काल युद्धविराम, गाजा का पुनर्निर्माण और वेस्ट बैंक को गाजा का हिस्सा मानने की मांग दोहराई गई। डार ने कहा, “हम अकेले इस युद्ध को नहीं रोक सकते। यहां तक कि इस्लामी सहयोग संगठन, संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद भी विफल रहे हैं। अगर कोई रास्ता निकलता है, तो उसे स्वागत करना चाहिए।” उन्होंने जोर दिया कि पाकिस्तान अब्राहम समझौते में शामिल नहीं होगा और इजरायल को मान्यता नहीं देगा।
यह विवाद 7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले (जिसमें 1,200 से अधिक इजरायली मारे गए और 251 बंधक बनाए गए) और इजरायल के जवाबी कार्रवाई (जिसमें 66,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए) के संदर्भ में आया है। ट्रम्प प्रशासन मुस्लिम देशों से गाजा में सैन्य बल भेजने और पुनर्निर्माण के लिए धन जुटाने की अपील कर रहा है, लेकिन नेतन्याहू ने फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को इजरायल के लिए खतरा बताया है।
पाकिस्तान ने हमेशा पूर्वी यरुशलम (अल-कुद्स अल-शरीफ) को फिलिस्तीनी राज्य की राजधानी मानते हुए दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन किया है।
विदेश मंत्री डार ने संसद में पाकिस्तान की कूटनीतिक सक्रियता का भी जिक्र किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर आवाज उठाना, जलवायु न्याय और वैश्विक वित्तीय सुधारों पर जोर देना शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना मुस्लिम दुनिया में फिलिस्तीन समर्थन को मजबूत करेगी, लेकिन ट्रम्प की योजना की सफलता हमास की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी।

