एनआईए की जांच से पता चला है कि हमले में तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों की सीधी संलिप्तता थी, जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे। ये आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे और हमले के बाद कश्मीर के जंगलों में छिपे हुए थे। जुलाई 2025 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में ‘ऑपरेशन महादेव’ के दौरान सुरक्षा बलों ने इन तीनों आतंकवादियों को मार गिराया था।
जून महीने में एनआईए ने दो स्थानीय लोगों — बतकोट के परवेज अहमद जोथर और पहलगाम के बशीर अहमद जोथर — को गिरफ्तार किया था। इन पर आरोप है कि उन्होंने आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की थी। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में आतंकवादियों की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में की गई थी।
यह हमला पहलगाम के बैसरन घाटी (बैसरन वैली) में हुआ था, जो पर्यटकों के बीच लोकप्रिय जगह है। आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें मुख्य रूप से हिंदू पर्यटक शामिल थे, हालांकि एक ईसाई पर्यटक और एक स्थानीय मुस्लिम पोनी ऑपरेटर की भी मौत हुई। हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई।
हमले के जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। इन हमलों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और ट्रेनिंग सेंटरों को निशाना बनाया गया।
एनआईए की चार्जशीट से मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई का रास्ता साफ होगा। जांच एजेंसी ने हमले से जुड़े सैकड़ों लोगों से पूछताछ की और ठोस सबूत जुटाए हैं।

