अलीगढ़ का नेत्रहीन बालक, भजन सम्राट बने पद्मश्री रविंद्र जैन: राम-कृष्ण-मीराबाई को दी आवाज़, हर घर गूंजे भजन…फिर भी बॉलीवुड ने क्यों ठुकरा दिया?

Padma Shri Ravindra Jain News: एक अंधे बच्चे की आँखों में संगीत की रोशनी थी, जो न सिर्फ बॉलीवुड को हिला गया, बल्कि रामायण जैसे महाकाव्य को अमर कर दिया। लेकिन यही संगीतकार, जिनके भजन आज भी करोड़ों भारतीयों के दिलों में बसे हैं, बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर हो गया। हम बात कर रहे हैं पद्मश्री रविंद्र जैन की, जिनकी जिंदगी प्रेरणा, संघर्ष और उपेक्षा की अनकही दास्तान है। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो ने एक बार फिर उनकी कहानी को सुर्खियों में ला दिया है।

अलीगढ़ की गलियों से निकला संगीत का सूरज
28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे रविंद्र जैन जन्मांध थे। पिता पंडित इंद्रमणि जैन संस्कृत के विद्वान थे, जिन्होंने उनके टैलेंट को पहचाना। बचपन से ही मंदिरों में भजन गाते घूमते थे। संगीत की तालीम गुरुओं से ली और कोलकाता के रेडियो स्टेशनों में ऑडिशन दिए, लेकिन रिजेक्ट हो गए। 1969 में मुंबई पहुँचे, जहाँ 1972 में पहली फिल्म ‘कांच और हीरा’ से संगीत निर्देशन शुरू किया।

बॉलीवुड में धमाल: सुपरहिट गाने जो आज भी गुनगुनाते हैं
70-80 के दशक में रविंद्र जैन ने तहलका मचा दिया। ‘चोर मचाए शोर’, ‘गीत गाता चल’, ‘चिच्छोर’ (‘गोरे से चलते आए’), ‘नदिया के पार’, ‘राम तेरी गंगा मैली’ जैसी फिल्मों के सदाबहार गाने दिए। 1985 में फिल्मफेयर बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर अवॉर्ड जीता। लता मंगेशकर, हेमलता, येसुदास जैसे दिग्गजों के साथ काम किया। 200 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया! लेकिन 90 के बाद… बॉलीवुड ने मुंह मोड़ लिया।

राम-कृष्ण-मीराबाई की दिव्य आवाज़: हर घर का संगीत
सच्ची पहचान तो रामानंद सागर की ‘रामायण’ (1987) से मिली। “जय श्री राम”, टाइटल सॉन्ग ने पूरे देश को भक्ति रस में डुबो दिया। ‘श्री कृष्ण’, ‘जय गंगा मैया’, ‘जय हनुमान’ जैसे सीरियल्स के भजन आज भी पूजे जाते हैं। मीरा, कृष्ण, राम के भजन हर घर गूंजे। लेकिन यही भक्ति बॉलीवुड को खटक गई? वायरल वीडियो में दावा है कि भजनों की दुनिया में खोने के बाद प्रोड्यूसर्स ने उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया। वे बॉलीवुड गानों से इनकार करते थे, जिससे इंडस्ट्री ने पीठ फेर ली।

पद्मश्री तो मिला, लेकिन बॉलीवुड की उपेक्षा
2015 में पद्मश्री से सम्मानित हुए, लेकिन उसी साल 9 अक्टूबर को किडनी फेलियर से निधन। पत्नी दिव्या और बेटे आयुष्मान के साथ मुंबई में रहे। बांद्रा में ‘पद्मश्री रविंद्र जैन चौक’ उनके नाम पर है। रविंद्र जैन संगीत अकादमी चलाते रहे।

लोग कह रहे- “बॉलीवुड ने ऐसा टैलेंट क्यों खोया?” रविंद्र जैन की कहानी साबित करती है- सच्चा संगीत अंधेरे में भी चमकता है। उनकी धुनें अमर हैं, बॉलीवुड की चमक नहीं!

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