पढ़े लिखे लोग ही हो रहे डिजिटल अरेस्ट, जानिए क्या है सबसे बड़ी वजह
नोएडा, दिल्ली, गुरुग्राम और फरीदाबाद समेत तमाम एनसीआर के अलग अलग इलाकों से अलग अलग लोगों के डिजिटल अरेस्ट होने की खबरें आ रही है। खास बात ये है कि अब तक जीतने भी लोग डिजिटल अरेस्ट हुए हैं सभी अच्छे पढ़े लिखे है। कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर और कोई अच्छे ओहदे पर रह चुके हैं ओर काम भी कर रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर पढ़े लिखे लोग डिजिटल अरेस्ट क्यों हो रहे? जानकार कहते हैं कि पढ़े लिखे लोग इज्जत की खातिर आसानी से दबाव में आ रहे हैं। जिसका फायदा उठाकर ठग किसी को एअरपोर्ट कस्टम पर ड्रग्स के नाम पर डरा देते है तो किसी को कोरियर में ड्रग्स भेजने का बहाना बना कर डराया जाता है। इतना ही नहीं कोई ईडी अधिकारी बनकर अलग अलग मामलों का डर दिखाता है तो कोई इन्कम टैक्स अफसर बताकर हेरा फेरी का डर दिखाकर पैसा वसूल कर रहा है। ये लोग इतना डर जाते हैं ना तो किसी से कह पाते हैं और चुपचाप पैसे देना ही अपनी भलाई समझ लेते हैं। जोकि गलत है, दरअसल इस तरह का यदि कभी कोई फ़ोन काॅल लाए और आपको लगता है कि वो सही बोल रहा है, फिर भी आप उसे तस्दीक कर ले।
नोएडा में फिर डिजिटल अरेस्ट का मामला
पार्सल में ड्रग्स और क्रेडिट कार्ड समेत अन्य आपत्तिजनक सामान होने का डर दिखाकर साइबर जालसाजों ने आईटी इंजिनियर युवती को तीन घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा। बता दें कि मूलरूप से आगरा निवासी श्वेता सविता ने बताया कि सेक्टर-62 स्थित आईटी कंपनी में वह इंजीनियर हैं। 27 अगस्त को जब वह कमरे पर थीं तभी उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने बताया कि वह कस्टम विभाग से बोल रहा है और सविता के नाम से भेजे जा रहे पार्सल में आपत्तिजनक सामान है। बताया गया कि शिकायतकर्ता की पहचान का गलत इस्तेमाल हुआ है। ऐसे में धन शोधन समेत अन्य मामले भी दर्ज करने की तैयारी है। सफाई देने के लिए पीड़िता को मुंबई आना होगा। इन सबसे बचने के लिए कथित कस्टम अधिकारी ने वीडियो कॉल के जरिए पूछताछ करने का विकल्प दिया। युवती के हामी भरते ही कॉल मुंबई पुलिस के कथित अधिकारी को ट्रांसफर कर दी गई। जांच की प्रक्रिया बताकर ठगों ने युवती से बैंक संबंधी जानकारी हासिल कर ली। युवती ने जब कहा कि उसके खाते में ज्यादा रकम नहीं है, तो ठगों ने पांच लाख रुपये का लोन लेने का दबाव बनाया। कहा, अगर पांच लाख रुपये तीन खातों में ट्रांसफर नहीं हुए तो गिरफ्तारी 24 घंटे के भीतर भी हो सकती है। युवती से यह भी कहा गया कि आरबीआई रकम और खातों की जांच करने के बाद पैसे मूल खातों में वापस कर देगी और एक क्लियरेंस सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। ताकि भविष्य में उसे कोई परेशानी नहीं हो। शिकायतकर्ता युवती का कहना है कि ठगी की जानकारी बहन को छोड़कर किसी भी परिजन को नहीं दी है। अगर उन्हें पता चलेगा टूट जाएंगे। युवती का कहना है कि पांच लाख रुपये बचत करने में उसे सालों लग जाएंगे। अब हर महीने लोन की किस्त देनी होगी। डिजिटल अरेस्ट होने के बाद युवती को इतना डरा दिया गया था कि वह रोने लग गई थी। ठगों ने उससे कहा कि अगर पूछताछ संबंधी जानकारी किसी से उसने साझा की तो राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ समेत अन्य धाराओं में भी मामले दर्ज होंगे।
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