आखिरकार नूंह हिंसा मामले में कांगेस विधायक मामन खान को अंतरिम जमानत मिल गई। अब वे कोर्ट से नियमित बेल पर बाहर आ चुके है। मामले में एसआईटी विधायक मामन खान के मोबाइल और लैपटॉप से सबूत जुटाकर कोर्ट में पेश नहीं कर पाई। जिसके चलते कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बुधवार शाम 6 बजे अतिरिक्त सेशन जज अजय शर्मा की अदालत ने विधायक को नियमित जमानत दे दी।
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इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे।जानकारी के मुताबिक, विधायक की तरफ से महताब अहमद, ताहिर हुसैन देवला तथा ताहिर हुसैन रुपड़िया ने अदालत में अपनी दलील रखते हुए पूरी बहस की। सरकार की तरफ से स्थानीय सरकारी वकीलों के अलावा चंडीगढ़ से आए एजी (सरकारी वकील) सभरवाल ने भी काफी देर तक बहस की। एसआईटी टीम व सरकारी वकील कोई ऐसी दलील व सबूत पेश नहीं कर पाए, जिससे विधायक की आंतरिक जमानत रद्द हो सके। एसआईटी टीम ने दावा किया था कि मामन खान के मोबाइल को डाईटेक के लिए भेजा गया है। उसमें हिंसा से संबंधित काफी सबूत मिलने की उम्मीद है। इतना ही नहीं बहस के दौरान मामन खान को बार-बार हिंसा का मास्टरमाइंड भी बताया जा रहा था। साथ ही यह भी दावा किया गया कि मोबाइल से तौफीक के साथ मोबाइल चैट हुई हैं। इसके अलावा दंगे से पहले 29 में 30 तारीख को मामन खान इंजीनियर अपने इलाके में थे और उन्होंने दंगा भड़काने का षड्यंत्र रचा था।
बता दें कि स्थानीय सरकारी वकीलों के साथ-साथ ऐसा पहली बार देखा गया है कि जिला स्तरीय अदालत में चंडीगढ़ से वकील को बहस के लिए बुलाया गया हो, लेकिन इस दौरान चली लंबी बहस में कोई ऐसे सबूत नहीं मिले, जिससे आंतरिक जमानत को रद्द किया जा सके। लिहाजा कोर्ट ने उन्हें नियमित जमानत दे दी। साथ ही एक ओर नया जमानत नामा लगाने के लिए कहा है।
विधायक के वकील ताहिर देवला ने बताया कि यह पहला मामला है, जिसमें स्थानीय सरकारी वकीलों पर विश्वास नहीं करते हुए बहस के लिए चंडीगढ़ से सरकारी वकील बुलाए गए। सरकार की हर संभव कोशिश थी कि विधायक मामन खान को फंसाया जाए, लेकिन उन्हें कोर्ट पर भरोसा था। एसआईटी ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाई, जिससे आंतरिक जमानत को रद्द किया जा सके।