Noida: आजकल डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। लोग लाखों रुपए दे कर खुद को प्रोटेक्ट करना चाहते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि वो ठगे गए। एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें रिटायर्ड डीजीएम ने खुद को डिजिटल अरेस्ट होने से बचा लिया बताते है। क्या तरकीब अपनाई जो वो बच गए।
सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच के नाम इस्तेमाल
दरअसल, फोन करने वाले ठग खुद को सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच से बताकर जांच के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर रहे थे। मामला सेक्टर-119 स्थित एक सोसाइटी का है जहां रिटायर्ड बैंक डीजीएम डिजिटल अरेस्ट होते होते बच गए। साइबर ठगों ने फोन कर अपना परिचय सीबीआई टीम के तौर पर दिया। फिर बताया कि मुंबई में टेलीकॉम एडवरटाइजिंग फ्रॉड में कई एफआईआर में आपका नाम है। करोड़ों के लेनदेन और गबन के लिए आपके आधार-पैन कार्ड का उपयोग कर खाता खुलवाए गए हैं।
जालसाज लगातार उसकी लोकेशन भी ट्रेस करते रहे
रिटायर्ड डीजीएम हरीश गुप्ता ने ऐसी संलिप्तता से इंकार किया। ठग नही माने और इसके बाद जांच कर केस से निकालने के बहाने साइबर जालसाजों ने सुबह करीब 11 बजे डिजिटल अरेस्ट कर लिया। पत्नी से दूर करवाकर वीडियो कॉल पर ही सभी दस्तावेज जांच के बहाने जालसाज देखने लगे। हरीश गुप्ता से बैंक खातों का ब्यौरा व इंटरनेट बैंकिंग के ब्यौरे का वेरिफिकेशन कराने के लिए कहा गया। पीड़ित ने कहा कि वह एक लेखा सेवा कंपनी के साथ काम करता है उसका दफ्तर सेक्टर-6 में है जहां लैपटॉप में पूरा ब्यौरा मौजूद है। तत्काल जांच का खौफ दिखाकर अपनी निगरानी में जालसाजों ने उसे दफ्तर जाने को कहा। पीड़ित भी डर गया और कार से दफ्तर के लिए निकला। जालसाज लगातार उसकी लोकेशन भी ट्रेस करते रहे। सेक्टर-34 मेट्रो स्टेशन के पास पीड़ित जब पहुंचा तो कॉल पर ही उसे जालसाजों ने धमकी दी कि तुम्हारे पीछे दो सीबीआई के इंस्पेक्टर मौजूद हैं। होशियारी की तो कुछ भी हो सकता है। इससे पीड़ित और डर गया। रास्ते से उन्हें सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाना दिखा। करीब 3 बजे कार किनारे लगा बहाना बनाकर वह थाने पहुंच गए। इस दौरान उनके चहेरे की उड़ी हवाईयां देकर थाना प्रभारी विजय कुमार ने कारण पूछा तो अपनी बेगुनाही की दुहाई दी। थाना प्रभारी ने बैठाकर पूरा माजरा जाना।
असली पुलिस इंस्पेक्टर को भी दी धमकी
पीड़ित ने बताया कि मोबाइल पर सीबीआई अधिकारी उससे लगातार पूछताछ कर रहे हैं। वह मोबाइल को डर के मारे कार में छोड़कर आए हैं। थाना प्रभारी विजय कुमार ने मोबाइल मंगवाया और बात करने के लिए कहा। पुलिस के सामने भी साइबर अपराधी खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए केस में फंसाने की धमकी और जांच में सहयोग करने पर बचाने का आश्वासन देते रहे। आखिर में थाना प्रभारी ने पीड़ित से कहा कि यह बता दो कि मैं असली पुलिस के पास थाने आ गया हूं। यह बताने पर साइबर जालसाज कुछ हिचके। इसके बाद थाना प्रभारी ने अपना परिचय बताते हुए धमकी दी कि पकड़े जाआगे, ठगी छोड़ दो। फिर साइबर अपराधियों ने सभी तरह से संपर्क तोड़ दिया। इसी तरह से रिटायर्ड डीजीएम हरीश गुप्ता खुद को डिजिटल अरेस्ट होने से बचाया और अपना आर्थिक नुकसान भी बचा लिया नहीं तो लोग बातों में आकर लाखों रुपए ठगों को दे देते हैं।