Noida: । थाना सेक्टर-63 पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है, जो लोगों को उत्पादकों के प्रोजेक्ट का सोशल मीडिया ,प्लेटफॉर्म, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब आदि पर प्रचार प्रसार करने एवं उत्पादकों को देश के विभिन्न राज्यों में डिस्ट्रीब्यूटर उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी का धंधा कर रहे थे ,पुलिस ने सेक्टर 63 जी 65 मैं चला रहे गोरख धंधा करने वाले 10 पुरुष एवं तीन महिलाओं को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से 10 लैपटॉप, दो कंप्यूटर ,10 मोबाइल फोन, प्रिंटर,50 सर्टिफिकेट ,चेक बुक आदि सामान बरामद किया है। पकड़े गए अभियुक्त एक व्यक्ति को डिस्ट्रीब्यूटर उपलब्ध कराने के नाम पर 3 लाख रुपए वसूल रहे थे।
डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी (DCP Central Noida Shakti Mohan Awasthi) ने बताया कि थाना सेक्टर 63 के थाना प्रभारी अवधेश प्रताप सिंह ने सूचना के आधार पर विभिन्न उत्पादकों के प्रोजेक्ट का सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार करने एवं उत्पादकों को देश के विभिन्न राज्यों में डिस्ट्रीब्यूटर उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग के 10 पुरुष और तीन महिलाओं को गिरफ्तार किया। उन्होंने पकड़े गए अभियुक्तों के नाम केशव वशिष्ठ पुत्र संजीव कुमार शर्मा, विकास शर्मा पुत्र दिनेश शर्मा, रवि शर्मा पुत्र दिनेश शर्मा, अमित पुत्र प्रेमचंद, प्रदीप पुत्र जगदीश सिंह, अविनाश गिरी पुत्र हरिश्चंद्र गिरी, आशीष कुमार मौर्या पुत्र सुनील कुमार रितेश कुमार पुत्र अनिल कुमार सिंह ,मनीष गौतम पुत्र नरेश कुमार एवं रितेश कुमार पुत्र कृष्ण नाथ तथा निधि पुत्री जगदीश कुमार, अंजली पांडे पुत्री अनिल पांडे, कृतिका पत्नी रंजीत वर्मा बताए हैं। पत्रकार वार्ता में एडिशनल डीसीपी ह़िरदेश कठारिया, एसीपी राजीव गुप्ता मौजूदथे।
8 से 10 डिस्ट्रीब्यूटर देने का प्रलोभन
DCP Central Noida Shakti Mohan Awasthi ने बताया कि ये लोग अपनी कंपनी के प्रचार में बताते थे कि कोई भी अपने उत्पादों का प्रचार या डिस्ट्रीब्यूटर चाहता है तो संपर्क करे। ये लोग कस्टमर को पैकेज बेचा करते थे। जिसमें प्रलोभन था कि अलग-अलग राज्यों में 8 से 10 डिस्ट्रीब्यूटर प्रतिमाह देंगे। जो आपके सामान को जल्दी बिकवाकर आपके मुनाफा को कई गुना तक बढ़ा देंगे। उत्पाद का प्रचार सोशल मीडिया पर करेंगे। इसके लिए ये लाखों रुपए कस्टमर से लेते थे। इनके अधिकांश कस्टमर दूर दराज के राज्यों के होते थे। ताकि वो लोग यहां न आ सके।
ऐसे मिलता था इंसेंटिव
कंपनी का जो भी कर्मचारी कस्टमर को फंसाकर पैकेज लाने में समर्थ होता था। उसे बतौर इंसेंटिव दिया जाता था। ये लोग काफी दिनों से यहां कंपनी खोलकर काम कर थे। फिलहाल पुलिस इनका डेटा बेस चेक कर रही है। ये लोग पैकेज के नाम कस्टमर से 3 से 4 लाख रुपए लेते थे। पुलिस से न पकड़े जाए इसलिए तीन से चार महीने में आॅफिस बदल लेते थे।
पकड़े गए आरोपियों का कंपनी में रोल
कंपनी में एचआर मैनेजर कृतिका ने पूछताछ के दौरान बताया गया कि मेरी ज्वाइनिंग करीब 02 साल पहले वाया ट्रेड प्रालि कंपनी में एचआर के पद पर हुई थी। वह कंपनी भी डायरेक्टर मयंक तिवारी की थी। मयंक तिवारी को करीब 02 साल से जानती हूं। मेरे द्वारा कंपनी में कर्मचारी का चयन और उनके कार्य का निर्धारण किया जाता था। हमारी पूर्व कंपनी पर नोटिस आ रहे थे। ऐसे में उक्त कंपनी का नाम व पता बदल दिया था। कंपनी द्वारा उत्पादकों को स्क्रिप्ट के अनुसार लुभावने आॅफर देकर अपना पैकेज खरीदने के लिये तैयार किया जाता था।
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