Noida News : प्राकृतिक रंगों से कपड़ों, दीवारों और कागज पर पेंटिंग करने की परंपरा काफी पुरानी है, लेकिन अगरबत्ती और धूप की राख से रंग बनाकर कपड़ों पर डिजाइन उकेरने का नया प्रयोग किया जा रहा है। यह अनोखा कार्य फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) के फैशन डिजाइन विभाग के फैकल्टी सौरभ श्रीवास्तव कर रहे हैं। उन्होंने तीन महीने तक मंदिरों और घरों में जलाई गई अगरबत्ती और धूप की राख को इकट्ठा कर इससे रंग तैयार किए हैं।
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राख से प्राकृतिक रंगों का निर्माण
सौरभ श्रीवास्तव ने इस राख से हल्के शेड्स तैयार किए और उनमें पानी और गाय का दूध मिलाकर सफेद सूती कपड़े पर पेंटिंग बनाई। कपड़े पर पहले पेंसिल या बत्ती से आकृति उकेरी गई, फिर ब्रश की मदद से इन प्राकृतिक रंगों से उसे सजाया गया। हालांकि, फिलहाल इन राख से रंगे कपड़ों को सिर्फ डेकोरेटिव आर्ट और पेंटिंग के लिए उपयोग किया जा रहा है। इन कपड़ों को पहनने लायक बनाने के लिए शोध कार्य जारी है।
रंगों की स्थायित्व पर शोध
शोध यह जानने के लिए किया जा रहा है कि राख से बने रंग कपड़े धोने के बाद कितने समय तक टिकते हैं। 10 वाय 10 के सूती कपड़े पर विभिन्न प्रकार के फ्रेम तैयार किए जा रहे हैं, जिसमें गाय के दूध और वार्निश का उपयोग कर रंगों को स्थायी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राख से बने हल्के पीले, हरे, भूरे और काले रंगों को फिक्स करने के लिए प्राकृतिक तत्वों का मिश्रण किया जा रहा है।
दीवारों पर भी हो रहा प्रयोग
राख से तैयार इन रंगों का उपयोग दीवारों पर भी किया जा रहा है। दीवारों पर आकृति बनाने के लिए गोंद और फिक्सर का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे रंग लंबे समय तक टिके रहें। हालांकि, यह रंग सिर्फ कलई या अन्य पारंपरिक रंगों वाली दीवारों पर ही प्रभावी होंगे, प्लास्टिक पेंट वाली दीवारों पर इन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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