Noida News:10 घंटे में डाक्टरों ने युवक को दिया नया जीवन, जानें कैसे
Noida News: कई सालों से पेट दर्द एवं उल्टी की समस्या से परेशान एक व्यक्ति को (Sector 11 Noida Metro hospital) मेट्रो अस्पताल के डॉक्टरों ने नई जिंदगी दी है। कई बड़े शहरों में इलाज कराया लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई। मरीज करीब एक साल से दर्द से पीड़ित थी ।
मेट्रो अस्पताल में सीनियर गैस्ट्रो सर्जन डॉ. कुशल (Senior Gastro Surgeon Dr. Kushal) ने बताया कि मरीज पेट में एक बड़ी गांठ लेकर आये थे, जिसका साइज 18 से 20 सेंटीमीटर था। यह दुनिया की सबसे बड़ी गांठ में से एक है। इतने दिनों से परेशान एवं सही डायग्नोसिस न होने के कारण गांठ का साइज इतनी बड़ा हो गया और इसका सही तरह से निवारण नहीं हो पा रहा था। आगे और जांच पड़ताल करने के बाद हमें पता चला कि इसका इलाज कीमोथेरेपी, रेडियोथेरैपी इसका इलाज संभव नहीं है। इसका इलाज सिर्फ और सिर्फ सर्जरी से संभव था। इसलिए सर्जरी का प्लान बनाया था। पैंक्रियाज की सर्जरी पहले से जटिल होती है। ऐसे में इतनी बड़ी गांठ सर्जरी को और जटिल बना देता है। लिवर ट्रांसप्लांट और जीआई आन्कोलॉजी की टीम आॅपरेशन में शामिल रही।
Senior Gastro Surgeon Dr. Kushalने बताया कि मरीज के पेट में लिवर की जो मुख्य नस होती है जो आंतों से लिवर की ओर खून लेकर जाती है, वह इस गांठ के कारण दबी हुई थी।
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Noida News:आॅपरेशन करीब आठ से दस घंटे चला। जिसमें गांठ को साबुत निकाल दिया गया . जो लिवर की नस थी वह दबने के कारण डैमेज हो रही थी। इसके कारण पोर्टल वेन एक ग्राफ डालकर रिप्लेस करनी पड़ी। यह अपने आप में एक रेयर केस था, जिसमें पैंक्रियाज की सर्जरी में पूरे पोर्टल वेन को काटकर नया पोर्टल वेन बनाया गया। इनकी लिवर की खून ले जाने की नलकी यानी पोर्टल वेन को इलाज के दौरान बंद कर नया ग्राफ्ट डाला गया । जितनी देर लिवर में खून नहीं जाता है, उतनी देर लिवर में डैमेज होता रहता है। 15 से 18 मिनट में पूरी पोर्टल वेन काटकर कर नया रिप्लेस किया, जिससे लिवर में डैमेज कम से कम हो। आॅपरेशन में मरीज की मौत का खतरा था, लेकिन सर्जिकल गैस्ट्रो इंटरोलाजी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने मरीज की जान बचा ली है। आठ घंटे के जटिल आॅपरेशन के बाद मरीज को एक नई जिंदगी प्राप्त हुई। एक सप्ताह बाद पूरी तरह से मरीज स्वस्थ है।
Noida News: लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन टीम से डॉ. अंकुर ने बताया कि सर्जरी के बाद तीन दिन मरीज को आईसीयू में रखा गया। तेजी से स्वस्थ होने के बाद मरीज को चौथे दिन से खाना खिलाना शुरू किया गया। आॅपरेशन करने वाली टीम में मेट्रो हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर डॉ. अंकुर गर्ग एवं गैस्ट्रोइंटेस्टिनल आन्कोलॉजी से डॉ. कुशल बैरोलिया एवं डॉ आदर्श चौहान शामिल रहे। एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ सत्येंदर कुमार ने अपनी टीम के साथ मरीज को सुरक्षित रखा।