Noida News: गौतमबुद्ध नगर में जनप्रतिनिधि से बायर्स का एक ही सवाल, कब मिलेगा अपना घर

Noida News: लोकसभा चुनाव से पहले फ्लैट बायर्स का मुददा एक बार फिर से गर्मता जा रहा है। कई सरकारें आई और गई लेकिन अब तक समस्या जस की तस बनी है। बीते 15 साल से गौतमबुद्ध नगर में सवा दो लाख फ्लैट बायर्स न्याय की आस में भटक रहे हैं। कई बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी हो चुके है। हमेशा चुनाव के दौरान वादा किया जाता है लेकिन अब भी लोग अपना घर पाने की आस में है। वर्ष 2009 से 2024 तक प्रदेश में भाजपा, बसपा और सपा की सरकारें भी रहीं, लेकिन कोई भी फ्लैट खरीदारों को उनका हक नहीं दिला सका। ऐसे में इस बार भी बायर्स का मुद्दा अहम होगा। लोग अपने जनप्रतिनिधियों से पूछ रहे है कि हमें अपना घर कब मिलेगा। वही सपा-बसपा काल की यह परेशानी अब तक बनी हुई है। साल 2007 से लेकर 2017 तक दोनों पार्टियों की सरकारें रहीं। इसी दौरान बिल्डरों की ओर से बायर्स के पैसे लेकर फंड के डायवर्जन का फर्जीवाड़ा किया गया। इनको पकड़ने के लिए अधिकारियों ने कुछ भी नहीं किया। धरना-प्रदर्शन के दौरान फ्लैट खरीदारों की एक नहीं सुनी गई। किसी की भी निगरानी नहीं हुई। ऐसे में पूरा मामला फंसता चला गया।

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बायर्स को झेलनी पड़ रही ये परेशानियां
गौतमबुद्ध नगर में हजारों ऐसे बायर्स हैं, जिन पर फ्लैट में निवेश करने के बाद दोतरफा परेशानी झेलनी पड़ी है। एक ओर उनको घर का किराया देना पड़ रहा है तो दूसरी ओर बैंक से लिए गए लोन की ईएमआई भी भरनी पड़ रही है। एक बायर बताते है कि उनको अब तक आम्रपाली सेंचुरियन पार्क में घर नहीं मिला। अभी किराये पर रह रही हैं और ईएमआई यानी बैंक का लोन भी चुकाना पड़ रहा है। खास बात यह कि इनमें से कई निवेशक अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके परिवार का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ा सपना अपना घर होना था, जो उनके जीवन काल में नहीं मिल पाया।

जय हिन्द जनाब ने ऐसे काफी लोगों से बातचीत की तो सामने आया कि फ्लैट में निवेश करने वाले कई ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने बुकिंग तो करा दी, लेकिन कोरोना की वजह से उनका काम छूट या कारोबार बंद हो गया। इसके बाद उन पर दुखों का पहाड़ टूट गया। ऐसे निवेशक नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि वह घर चलाने और ईएमआई भरने के लिए टैक्सी चला रहे हैं। वहीं, कुछ लोग छोटे-मोटे काम करने को भी मजबूर हैं। उनका साफ कहना है कि फ्लैट में निवेश करना उनकी जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। कई लोगों ने अपने पैसे रिफंड के लिए भी आवेदन किया है। उनका कहना है कि जीवन भर की कमाई ऐसे ही नहीं गंवाई जा सकती है।

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बिल्डर के दफ्तार पर लगातार दो महीने तक हुआ था प्रदर्शन
आम्रपाली के खरीदारों ने सेक्टर-62 में लगातार दो माह तक धरना दिया था। उस दौरान सरकार के मंत्री से लेकर विधायक-सांसद और प्राधिकरण के अधिकारी तक धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने धरनारत खरीदारों को मनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। आम्रपाली के कार्यालय के बाहर गेट पर तंबू लगाकर जमे रहे। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाने की घोषणा की। समिति ने काम शुरू किया, लेकिन परिणाम देने में असफल रही, हालांकि कई माह तक प्राधिकरण के अधिकारी लखनऊ की दौड़ लगाते रहे।

लाखों बायर्स, रजिस्ट्री केवल सैकड़ों में हो रही
गौतमबुद्ध नगर में करीब सवा दो लाख फ्लैट बायर्स को अपने घरों पर कब्जे और रजिस्ट्री का इंतजार है, लेकिन प्राधिकरण की ओर से लाख प्रयास करने के बावजूद भी रजिस्ट्री का आंकड़ा नहीं बढ़ रहा है। सरकार के अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लागू करने के बाद भी बड़े बिल्डरों की ओर से रजिस्ट्री और घरों के अधूरे निर्माण पूरे करने को लेकर किसी तरह की गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। आलम यह है कि लाखों की रजिस्ट्री होनी है और सैकड़ों में रजिस्ट्री की योजना बनाई जा रही है।

 

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