Noida News:पिछले तीन महीने में जन्म लेने वाले 20 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम रहा है। स्वास्थ्य विभाग की सर्वे रिपोर्ट में इन बच्चों का वजन ढाई किलो से कम मिला है। इनको लो वर्थ वेट वर्ग में रखा गया है। अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में इनका इलाज किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि सामान्य तौर पर नवजात बच्चे का वजन ढाई से स्राढ़े तीन किलो के बीच में होना चाहिए। बच्चे का वजन कम होने से कई प्रकार का खतरा रहता है।
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स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनवरी से लेकर अगस्त माह में किए गए सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सरकारी और निजी अस्पतालों में कुल 37393 नवजात बच्चों ने जन्म लिया है। जन्म के दौरान इन सभी बच्चों का वजन किया गया, जिसमें 6776 बच्चों का वजन 2,5 किलो से कम मिला है। यानी करीब 18 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम मिला है। सिर्फ जून से अगस्त तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 14587 नवजात बच्चों का जन्म हुआ, इसमें से 281 14 बच्चों का वजन ढाई किलो कम मिला। यानी 20 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम है। जनवरी से लेकर मई तक ढाई किलो से कम जन्म लेने वाले बच्चों का आंकड़ा 600 से 900 के बीच प्रतिमाह रहा, जबकि जून से अगस्त के बीच में यह आंकड़ा 900 से एक हजार प्रतिमाह पहुंच गया।
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चाइल्ड पीजीआई के एमएस डॉ. आकाश राज ने बताया कि बच्चे का वजन दो तरह से कम हो सकता है या तो गर्भवती की प्री-मैच्योर डिलीवरी हो या फिर गर्भावस्था के दौरान खानपान का ध्यान नहीं रखा। प्री-मैच्योर डिलीवरी होने पर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ, दूध पीने में दिक्कत, बच्चा, शरीर का तापमान नियंत्रण नहीं कर पाता है। वहीं, दूसरी स्थिति में नवजात का जन्म तो समय पर हुआ है, लेकिन उसका वजन कम है तो उसकी लंबाई सामान्य बच्चों से कम रह सकती है। संक्रमण का खतरा रहता है। शरीर का तापमान नियंत्रण करने में भी परेशानी आती है। फोर्टिस अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ. अंजना सिंह ने बताया कि कमजोर शिशु को जन्म देने से बचने के लिए, गर्भवती महिला को फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर स्वस्थ आहार को प्राथमिकता देनी चाहिए। शराब और धूम्रपान से दूर रहना चाहिए, नियमित प्रसव पूर्व जांच करानी चाहिए, पर्याप्त आराम करना चाहिए। मध्यम व्यायाम करना चाहिए।