Noida Mixed Land Use Policy News In Hindi: नोएडा में मिक्स लैंड यूज पॉलिसी (मिश्रित भूमि उपयोग नीति) के तहत मिलने वाली परमिशन इन दिनों सवालों के घेरे में है। नोएडा प्राधिकरण इस नीति में बड़े बदलावों की तैयारी कर रहा है, जिसके चलते नई परमिशन पर अस्थायी रोक लगा दी गई है और पुरानी परमिशन पर भी समीक्षा की तलवार लटकी हुई है। यह स्थिति उन लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है जिन्होंने अपने आवासीय या औद्योगिक भूखंडों पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू करने की योजना बनाई थी।
नोएडा सीईओ लोकेश एम ने कही बड़ी बात
इस संबंध में नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम जय हिन्द जनाब को बताया कि मिक्स लैंडयूज पॉलिसी को बोर्ड मीटिंग में ले जाया गया था, मगर यहाँ इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। प्राधिकरण के चेयरमैन ने इस पॉलिसी पर किसी भी तरह के निर्णय नहीं लिए फ़िलहाल प्राधिकरण बोर्ड बैठक में इस पॉलिसी को शासन के लिए भेजने की तैयारी कर रहा है। जब तक शासन से इस पॉलिसी पर कोई स्पष्टता नहीं आएगी तब तक नोएडा में किसी मकान और किसी भी फैक्टरी को मिक्स लैंडयूज पॉलिसी के तहत कन्वर्ट नहीं किया जाएगा। सीईओ ने कहा कि प्राधिकरण कनवर्ज़न चार्ज पर भी समीक्षा कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि मेरे कार्यकाल में कोई भी मिक्स लैंडयूज पॉलिसी के तहत भूखंड को कनर्वट नही किया है। संभवतः अगली बोर्ड बैठक में इस पॉलिसी को शासन को भेजने का काम किया जा सकता है। बता दें कि मिक्स लैंडयूज पॉलिसी के तहत ही नोएडा के अलग अलग सेक्टरों में बने मकानों मैं बैंक और गेस्ट हाउस खोले गए हैं। ये पॉलिसी 24 मीटर रोड और उसे ऊपर चोरी सड़क पर ही लागू होती है।
चलिए बताते है कि मिक्स लैंडयूज पॉलिसी क्या है और प्राधिकरण इससे कैसे लागू करते है…
क्या है मिक्स लैंड यूज पॉलिसी?
नोएडा में मिक्स लैंड यूज पॉलिसी नवंबर 2013 में नोएडा प्राधिकरण बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी विकास को बढ़ावा देना और मेट्रो विस्तार जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए राजस्व जुटाना था। इस नीति के तहत, आवासीय और औद्योगिक भूखंडों के मालिकों को कुछ शर्तों के साथ अपनी संपत्ति का आंशिक रूप से व्यावसायिक उपयोग करने की अनुमति मिलती है।
परमिशन की प्रक्रिया और शर्तें
- भुगतान: आवेदक को एक “इम्पैक्ट फी” का भुगतान करना होता है। पहले यह शुल्क आवासीय/औद्योगिक दरों और व्यावसायिक दरों के अंतर का 50% था, जिसे बाद में 2014 में 25% और फिर 2015 में 10% कर दिया गया। अब इसे दोबारा बढ़ाकर 50% तक करने की तैयारी है।
- क्षेत्रफल का उपयोग: मौजूदा नीति के अनुसार, प्लॉट के फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) के 25% हिस्से का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।
- सड़क की चौड़ाई: यह अनुमति केवल उन्हीं भूखंडों पर दी जाती है जो 24 मीटर या उससे चौड़ी सड़क पर स्थित हों।
- अनुमति योग्य गतिविधियां: आवासीय भूखंडों पर गेस्ट हाउस और बैंक जैसी गतिविधियों की अनुमति है, जबकि औद्योगिक भूखंडों पर ऑटो शोरूम, आर्ट गैलरी और संग्रहालय आदि को मंजूरी दी जाती है।
- संसाधनों पर दबाव: प्राधिकरण बिजली, सीवरेज, जल सहित अन्य संसाधनों पर पड़ने वाले दबाव का भी परीक्षण करवाता है।
- पार्किंग: आवेदकों को अपने परिसर में पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था करनी होती है।
वर्तमान में परमिशन पर रोक क्यों?
प्राधिकरण मिक्स लैंड यूज पॉलिसी में कई बदलाव करने की तैयारी में है। इसके पीछे मुख्य कारण ये हैं:
- राजस्व में वृद्धि: प्राधिकरण का तर्क है कि जब यह नीति शुरू की गई थी, तब आवासीय और औद्योगिक भूखंडों की दरें व्यावसायिक भूखंडों की दरों से काफी कम थीं, जिससे प्राधिकरण को राजस्व मिलता था। पिछले 7-8 वर्षों में आवासीय और औद्योगिक भूखंडों की दरें बढ़ी हैं, लेकिन व्यावसायिक भूखंडों की दरें स्थिर हैं, जिससे दरों का अंतर कम हो गया है। इसलिए, प्राधिकरण शुल्क को 10% से बढ़ाकर लगभग 50% करने की तैयारी में है।
- दुरुपयोग: प्राधिकरण का यह भी मानना है कि कई मामलों में लोग केवल 25% क्षेत्र के व्यावसायिक उपयोग की मंजूरी लेते हैं, लेकिन पूरे भूखंड का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कर रहे हैं, जिससे नियमों का उल्लंघन हो रहा है।
- नियमों में संशोधन: मंजूरी के लिए बनने वाली समिति, मानक और अन्य नियमों में भी कुछ बदलाव प्रस्तावित हैं, जिनके लिए प्राधिकरण बोर्ड की मंजूरी का इंतजार है।
- शहरी नियोजन में बदलाव: हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी क्षेत्रों में मिश्रित भूमि उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नए नियम बनाने पर विचार किया है, जिसमें आवासीय भवनों के साथ दुकानों और अन्य व्यावसायिक सुविधाओं के निर्माण की अनुमति दी जा सकती है। इससे पहले ऐसी अनुमति नहीं थी। इन बड़े नीतिगत बदलावों के चलते भी प्राधिकरण सतर्कता बरत रहा है।
सेकडों लोग हो रहे प्रभावित
मिक्स लैंड यूज पर परमिशन रोके जाने से हजारों लोगों को प्रभावित कर सकती है जो नोएडा में अपने भूखंडों पर मिश्रित उपयोग की संभावनाएं तलाश रहे थे। प्राधिकरण को जल्द ही नई नीति और परमिशन प्रक्रिया को स्पष्ट करना होगा ताकि निवेशकों और जनता में विश्वास बहाल हो सके।
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