देखिए जब नोएडा ग्रेटर नोएडा यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण का गठन किया गया तो औद्योगिक विकास केंद्रीय एजेंडा था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया तो यह प्राधिकरण एजेंडे से भटक गए और एक प्रॉपर्टी डीलर का काम करने लगे। जरा सोचिए एक वक्त था जब प्राधिकरण हर एक व्यक्ति को प्रॉपर्टी बनाने का समान अधिकार देता था। यानी आसान किस्तों पर आप जमीन लीजिए फैक्ट्री बनाइए है, घर बनाइए या फिर दुकान बनाइए और अब ऐसा वक्त आ गया है। प्राधिकरण केवल अमीर लोगों को ही प्रॉपर्टी बनाने का मौका देता है। यानी जो व्यक्ति एकमुश्त प्राधिकरण को पैसा देगा, उसी को फर्स्ट प्रेफरेंस देकर भूखंड आवंटित किए जाएंगे। हाल ही में यमुना प्राधिकरण अपनी आवासीय और कमर्शियल स्कीम लॉन्च करने जा रहा है।
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इसमें भी गरीब लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है। सीधे-सीधे प्राधिकरण की ओर से शर्त लगा दी गई है कि जो लोग एक मुस्त पैसा प्राधिकरण में जमा करेगे, उन्हीं को प्राथमिकता के आधार पर डा में शामिल किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति दूसरा ऑप्शन यानी प्राधिकरण को किस्तों में देगा। उसके लिए यदि भूखंड बचेंगे तब डा होगा। सवाल यही है कि यदि किसी व्यक्ति पर एकमुश पैसा नहीं है और उसे बैंक लोन नहीं दे रहा है, तो क्या उसका प्राधिकरण से भूखंड लेने का हक नहीं है। काफी साल पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ऐसे ही स्कीम निकालते थे कि यदि आपक बैंक से लोन ना मिले तो प्राधिकरण आपको के साथ किस्ते बना देगा, फिर आप हर महीने किस्ते भरे और अपने प्रॉपर्टी के मालिक बन जाइए। यदि समय से आप किस्ते नहीं चुकाएंगे तो प्राधिकरण आप पर चक्रवती ब्याज लगाता है। लेकिन प्राधिकरण के मूल उद्देश्य ही खत्म हो गए हैं। पहले तो अधिकारियों ने प्राधिकरण की स्कीमों से उन लोगों को आउट किया, जो एक मुस्त पैसा नहीं दे सकते, उसके बाद उन लोगों को आउट किया जो बोली लगाकर ऊंची कीमत पर भूखंड नहीं खरीद सकते, लेकिन उन लोगों को बढ़ावा मिल गया जो ऊंची बोली लगाकर भूखंड खरीद सकते हैं और फिर मार्केट में ले जाकर देखते हैं।
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हालांकि सरकार से जब इस संबंध में शिकायतें होने लगी तो शासन ने आदेश कर दिया कि ऑप्शन प्रणाली पूरी तरह खत्म कर दी जाए। चलिए खत्म हो गई है लेकिन अभी भी दो के माध्यम से आपको तभी मिलेगा। जब आप प्राधिकरण को किसी भी भूपेन का एकमुश्त देने के लिए तैयार होंगे। खास बात यह भी है कि यदि आप 120 मीटर का कोई भूखंड लेना चाहते हैं। तो करीब-करीब आपको 30 लाख एकमुश्त प्राधिकरण में जमा कराना होगा। नहीं तो हो सकता है कि डा के लिए आपका नाम भी ना आए। प्राधिकरण की स्कीम में अप्लाई करने से पहले उनकी शर्तों को पढ़ें। तभी आप अप्लाई करें। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे में उद्योग लगाने वाले उद्योगपति भी प्राधिकरण की मनमानी से परेशान है, क्योंकि यदि कोई उद्यमी भूखंड अप्लाई करता है तो उसे प्रोसेसिंग फीस और फार्म फीस 1-2 हजार नहीं बल्कि 20 से 25 हजार चुकानी पड़ती है।