Noida News: नोएडा में बिल्डर और बैंको का गठजोड़ सामने आ चुका है। जिसके बाद बॉयर्स को इंसाफ मिलने की उम्मीद जाग गई है। सबवेंशन स्कीम के तहत बिल्डरों ने फ्लैट बायर्स को बेवकूफ बनाया था। सबवेंशन स्कीम के तहत फ्लैट बायर्स से लोन कराकर बुकिंग के नाम पर रुपये ले लिये जाते थे। इस मामले में अब सीबीआई ने जांच तेज कर दी है। बीते दिन यानी बुधवार को सीबीआई की 5 सदस्यीय टीम नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर पहुंची। टीम ने ग्रुप हाउसिंग विभाग के अधिकारियों से सबवेंशन स्कीम के तहत बुकिंग कराने वाले प्रोजेक्टों की पूरी जानकारी मांगी। यही नहीं, सीबीआई की टीम ने बिल्डर साइट पर पहुंचकर प्रोजेक्ट की मौजूदा स्थिति का निरीक्षण किया। इन सभी परियोजनाओं में बड़ी संख्या में फ्लैट खरीदार फंसे हुए हैं।
प्राधिकरण अफसरों का बयान
प्राधिकरण के अफसरों के मुताबिक सीबीआई की टीम सेक्टर-6 दफ्तर पहुंची। सीबीआई को उन प्रोजेक्टस के स्थल का निरीक्षण करना था। लिहाजा प्राधिकरण से पता आदि लेने के बाद जांच टीम साइट पर गई। यहां प्राधिकरण के जूनियर स्तर के अधिकारियों ने सीबीआई टीम की मदद की। अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई की ओर से परियोजना की कुल यूनिट, सबवेंशन स्कीम के तहत बुकिंग वाली यूनिट, परियोजना को ऑक्यूपेंसी और कंप्लीशन सर्टिफिकेट, परियोजना में प्राधिकरण का बकाया, परियोजना में निर्माण का प्रतिशत आदि की जानकारी मांगी जाएगी। प्राधिकरण के अधिकारी ई-मेल के माध्यम से लिखित में जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
खरीदारों की शिकायतों के बाद हो रही कार्रवाई
बता दें कि सबवेंशन स्कीम मामे में खरीदारों की शिकायतों के बाद सीबीआई ने 22 एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। बिल्डर और बैंकों के गठजोड़ का पता लगाने के लिए जांच एजेंसी ने एनसीआर के 47 स्थानों पर छापा मारा था।
सीबीआई के रडार पर है ये बिल्डर
सीबीआई इस मामले में गहनता से जांच कर रही है। अब सीबीआई के रडार पर नोएडा में कुल आठ बिल्डर है। जिनकी 10 परियोजनाओं की जांच हो रही हैं। इनमें सुपरटेक की तीन परियोजनाएं सेक्टर-74 नार्थ आई, केपटाउन, सेक्टर-118 की रोमानो है। सुपरटेक के कुल 961 फ्लैट खरीदारों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसी तरह से सेक्टर-143 में साहा बिल्डर, सेक्टर-143 में विक्ट्री एस जो कि ड्रीम प्रोकॉन प्राइवेट लिमिटेड और लॉजिक्स सिटी डेवलपर्स की साझेदारी है। इसके अलावा सेक्टर-143 में लॉजिक्स ब्लॉसम जेस्ट, सेक्टर-137 के शुभकामना टेक होम्स, सेक्टर-131 के द आर्चर्ड, सेक्टर-79 के द बेल्विडिर, सेक्टर-118 के अजनारा एंब्रोसिया परियोजना और उसके बिल्डरों के नाम जांच और एफआईआर में हैं।
क्या है सबवेंशन स्कीम
लोगों में भ्रम है कि सबवेंशन स्कीम उनके लिए फायदेमंद थी लेकिन ये सही नही है। चलिए बताते है क्या है ये स्कीम। दरअसल, सबवेंशन स्कीम यानी फ्लैट की बुकिंग के बाद तीन साल तक खरीदार को एक पैसा भी नहीं देना था। बुकिंग अमाउंट देने के बाद बिल्डर उन फ्लैट बायर्स को लोन कराते थे। लोन कराने के बाद बैंक से पूरा पैसा ले लेते थे। वादा यह किया जाता था कि तीन साल तक जो भी किस्त बनती है उसका ब्याज अगले तीन साल तक बिल्डर चुकाएंगे। फ्लैट पर कब्जा मिलने के बाद खरीदार आगे की किस्त और ब्याज चुकाएंगे। मगर बिल्डरों ने ऐसा नही किया। आरबीआई ने इसे पोंजी स्कीम करार दिया था।
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