Noida Authority: जिस तरह से ईडी आज कल नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी यानी सीईओ पर कार्रवाई कर रही है उससे प्रतीत हो रहा है कि ईडी भ्रष्टाचार से कमाई गई काली कमाई करने वालों पर शिकंजा कस रही है। सवाल ये है कि क्या केवल भ्रष्टाचार में पूर्व सीईओ शामिल रहते हैं या फिर अन्य अफसर भी भ्रष्टाचार करके गए है। प्राधिकरण के नियम के अनुसार यदि किसी बिल्डर को भूखंड आवंटित होता है या फिर कोई बड़ा नक्शा पास होता है या कैंसिल हुआ भूखण्ड दोबारा रिस्टोर होता है तो बकायदा एक कमेटी काम करती है। जब तक कमेटी हरी झंडी न दे तब तक काम नही हो सकता। तो ऐसे में केवल भ्रष्टाचार में लिप्त होने की सीईओ की अकेले भूमिका होने की संभावना बेहद कम है। जब भी बिल्डरों को आवंटन हुए तो संबंधित विभाग के ओएसडी ओर मैनेजर आदि भी उसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक ऐसे अफसर को बसपा सरकार में लाया गया जिन्होंने बिल्डरों और प्राधिकरण के बीच जमकर मध्यस्था की। इतना ही उन्हें ओएसडी के रूप में तैनात किया गया। बाकायदा पुलिस सिक्योरिटी भी शासन की और से दी गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस अफसर की क्या हनक रही होगी। बताया जाता है कि ज्यादातर बिल्डरों को भूमि अंवटन में वे शामिल रहते थे लेकिन कागजों पर नही बल्कि मुंह जबानी ही काम कराते थे।
ऐसे अफसर जो एक नहीं कई कई विभाग देखते थे
प्राधिकरण में ऐसे अफसर भी रहे जो ओएसडी रहते हुए भ्रष्टाचार से बच नहीं सकते थे और उन्होंने जो भूमिका निभाई उससे अंदाजा लगाया जा सकता है, कि वे भी भ्रष्टाचार में वे पूरी तरह लिप थे। एक ओएसडी कई कई विभाग सम्भालते थे। इसके अलावा कई ऐसे मैनेजर थे है जो ग्रुप हाउसिंग संस्थागत आदि का चार्ज एक साथ देखते थे। यहीं लोग प्लॉट अंावटन करने में अहम भूमिका निभाते थे। सवाल यही है कि क्या ऐसे लोगों पर भी ईडी की गाज गिरेगी।