Noida Air Pollution: धुंध की चादर में घुट रही नोएडा की सांसे

Noida Air Pollution: नोएडा। औद्योगिक नगरी में दीपावली से पहले प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है। धुंध की चादर में शहर पूरी तरह से लिपट रहा है। सूरज निकला है, लेकिन धुंध के चलते सूरज की रोशनी कम है।
आलम यह रहा कि दिवाली त्यौहार से पहले लोग दीपावली की गिफ्ट देने के लिए बाहर निकल रहे। दिन भर धुंध बना रहा। बड़ी मुश्किल से लोग अपने कामकाज के लिए निकले।
धुंध के कारण सुबह चालकों को वाहनों की लाइट जलानी पड़ी। नोएडा में सेक्टर-62 का एयर क्वालिटी इंडेक्स 335, सेक्टर-125 का 294, सेक्टर-1 का 276 व सेक्टर-116 का 275 के साथ खराब श्रेणी में रहा। नोएडा के सेक्टर-62 इलाके की हवा बहुत खराब श्रेणी में रही।

Noida Air Pollution:

ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-3 में 369 व ग्रेटर नोएडा के नालेज पार्क-5 में एक्यूआइ-324 के साथ बहुत खराब श्रेणी में रहा। कई दिन से मौसम में बदलाव के आसार दिखाई पड़ रहे थे। इससे ठंडक बढ़ गई है।
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सफर ऐप के अनुसार, गुरुवार को नोएडा का AQI 366 दर्ज किया गया. बता दें कि 366 AQI रेड जोन में आता है और इसे बेहद ही खराब माना जाता है.वहीं ग्रेटर नोएडा की बात करें तो यहां एक्यूआई 346 दर्ज किया गया. नोएडा में कुछ इलाके हैं जहां अभी भी एक्यूआई रेड जोन में नहीं पहुंचा है, वहां माना ये जा रहा है कि जल्द ही आंकड़े 400 के पार होंगे.

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जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. प्रदीप शैलत ने बताया कि एक-दो दिन से सुबह धुंध छाने लगी है, जो इस वर्ष देखने को मिली है। सुबह मॉर्निंग वाक पर जाने वालों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। प्रदूषण के नियंत्रण को उपाय किए जाने चाहिए। मौसम में बदलाव हो रहा है, लेकिन कोहरा अभी नहीं गिर रहा है। प्रदूषण के कारण वातावरण में धुंध छाई है, जो बारिश होने पर ही खत्म हो सकती है।
पिछले कुछ सालों से दीपावली से पहले प्रदूषण की दर बढ़ती जा रही है। इस बार भी सुबह और शाम बढ़ते प्रदूषण का असर धुंध के रूप में साफ दिखाई पड़ा है। लिहाजा यहां भी माना जा रहा है कि प्रदूषण का स्तर कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है।

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प्रदूषण बढऩे के पीछे निर्माण कार्यों से उड़ रही धूल और वाहनों से निकलने गुबार प्रमुख कारण है। इसके अलावा नियमित चलने वाले वाहनों की संख्या बढऩे से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। जिले में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
प्रदूषण के बढ़ते स्तर से लोगों की सेहत खतरे में पड़ सकती है। धुंध में शामिल धूल और धुएं के भारी कण भी वातावरण में लंबे समय तक मौजूद रहते हैं, जो श्वसन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। इससे लोगों को श्वास संबंधी बीमारियां हो सकती है।

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