सुप्रीम कोर्ट में 2021 के बाद से किसी भी महिला जज की नियुक्त नहीं हुई, बार बॉडी ने उठाया कम प्रतिनिधित्व का मुद्दा

Supreme Court/Women Judge News: भारत के सुप्रीम कोर्ट में 2021 के बाद से कोई महिला जज नियुक्त नहीं की गई है, जिसके चलते उच्चतम न्यायालय में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद कम बना हुआ है। एक प्रमुख बार संगठन ने इस मुद्दे को उठाते हुए न्यायपालिका में लैंगिक समानता की कमी पर चिंता जताई है।

सुप्रीम कोर्ट, जो देश का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है, में वर्तमान में 34 जजों में से केवल एक महिला जज, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, कार्यरत हैं। जस्टिस नागरत्ना को सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की उम्मीद है, हालांकि उनका कार्यकाल केवल 36 दिनों का होगा। सुप्रीम कोर्ट के 75 साल के इतिहास में अब तक केवल 11 महिला जज नियुक्त हुई हैं, जो कुल जजों का महज 4% है।

2021 में तीन महिला जजों—जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी—की नियुक्ति के बाद से कोई नई महिला जज की नियुक्ति नहीं हुई है। बार संगठन ने इस स्थिति को चिंताजनक बताते हुए कहा कि उच्च न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

संगठन ने यह भी बताया कि हाई कोर्ट में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 11% है, जो लैंगिक समानता की दिशा में कमी को दिखाया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जस्टिस अलोक अराधे और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की गई, लेकिन इसमें वरिष्ठ महिला जजों को नजरअंदाज किए जाने की बात सामने आई है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं की नियुक्ति को सामान्य बनाने की जरूरत है ताकि यह असाधारण न लगे। बार संगठन ने मांग की है कि कॉलेजियम पारदर्शिता के साथ योग्य महिला जजों को प्राथमिकता दे, ताकि न्यायपालिका में लैंगिक विविधता को बढ़ावा मिले।
यह मुद्दा न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि समग्र न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है, ताकि महिलाओं को उच्च पदों पर समान अवसर मिल सकें|

यह भी पढ़ें: साइबर फ्रॉड से बचने के लिए कार्यशाला में एक्सपर्ट्स ने दिए टिप्स, ये गलती की तो होगा अकाउंट खाली

यहां से शेयर करें