हनीमून नहीं…बुजुर्गों संग तीर्थयात्रा पर जाऊंगा

बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचा इंजीनियर दूल्हा, तो दहेज में मिले 11 हजार पौधे, बोला
ghaziabad news  इंजीनियर दूल्हा बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचा। बैंड-बाजा भी नहीं था। बाराती भी सजी-धजी 3 बैलगाड़ियों पर सवार थे। दूल्हा-दुल्हन ने सात फेरों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के 10 संकल्प भी लिए। दहेज में 11 हजार पौधे दिए गए। दूल्हा-दुल्हन ने एक गांव को गोद लेने का ऐलान किया। शादी समारोह में रक्तदान शिविर लगाया गया। जहां दूल्हे के साथ-साथ अन्य लोगों ने रक्तदान किया। तीन मार्च की सुबह बैलगाड़ी से ही दूल्हा-दुल्हन की विदाई हुई।
दूल्हे ने कहा कि शादी के बाद मैं अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर नहीं, बल्कि वृद्ध आश्रम के बुजुर्ग दंपतियों के साथ तीर्थ यात्रा पर जाऊंगा।
जिले के रईसपुर गांव के पर्यावरण कार्यकर्ता और इंजीनियर सुरविंदर के पिता अनिल चौधरी पेशे से किसान हैं। जिले में आठ बीघा जमीन पर डेयरी फार्म चलाते हैं। वहीं उनकी आटा चक्की भी है।

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दूल्हे सुरविंदर ने बताया कि मैं दो साल से ऐसे रिश्ते की तलाश कर रहा था, जो दहेज विरोधी हो। पर्यावरण बचाने में मेरा योगदान करें। इसी बीच बुलंदशहर के गुलावठी निवासी प्रिया चौधरी का रिश्ता आया।
मैंने प्रिया से अपने संकल्प की बात कही तो वह राजी हो गई। पिता शरनवीर चौधरी ने जब दहेज की बात की तो मैंने मना कर दिया। प्रिया के पिता बैंक से रिटायर हैं। प्रिया प्राइवेट टीचर हैं। अभी वह गाजियाबाद में रहती हैं।
पांच लाख सलाना की नौकरी छोड़ी…
सुरविंदर (28) ने बताया कि मैंने भारत इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी गोहाना (सोनीपत) से सिविल में बीटेक किया है। नोएडा में पांच लाख रुपए के सालाना पैकेज पर जॉब करता था, लेकिन नौकरी छोड़कर पर्यावरण बचाने और समाज सेवा का काम शुरू कर दिया।
उन्होंने बताया कि मैं रविवार को तीन बैलगाड़ियों से बारात को लेकर गाजियाबाद पुलिस लाइन के पास स्थिति फार्म हाउस पहुंचा। एक बैलगाड़ी में मैं खुद सवार था। दो में बाराती थे। कुछ लोग पैदल ही बैलगाड़ियों के पीछे-पीछे चल रहे थे।

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शादी में प्लास्टिक का इस्तेमाल रहा प्रतिबंधित
दूल्हे ने बताया कि शादी समारोह में किसी भी प्रकार का प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया। हम एक गांव को गोद ले रहे हैं। जहां पर विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्य किए जाएंगे। जब दुनिया प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से जूझ रही है। तब उनकी यह ईको-फ्रेंडली शादी समाज को न केवल एक नई दिशा दिखाएगी, बल्कि सामाजिक बदलाव भी लाएगी। मैं किसान आंदोलन से भी जुड़ा रहा हूं। गाजीपुर बार्डर पर किसानों के लंगर और रहने की व्यवस्था की।
बैलगाड़ी से बारात प्रेरणादायक: दुल्हन
दूल्हे ने शादी के निमंत्रण पर 10 संकल्प छपवाए थे। प्रिया ने बताया कि आज के युग में बैलगाड़ी से बारात लाना सचमुच परंपरा और पर्यावरण की रक्षा की दृष्टि से प्रेरणादायक है।

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