ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को यमुना प्राधिकरण से जोड़ने तैयारी, नितिन गडकरी बोले दिल्ली से दूर आबोहवा अच्छी इससे ऐसे ही बनाएं रखेंगे

Nitin Gadkari News: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) अब सड़क बनाने के साथ साथ आबोहवा को भी दुरूस्त रखेगा। इसके लिए एक वर्ष में देशभर में NHAI 52 लाख पौधे लगाएगा। जेवर में यमुना एक्सप्रेसवे को इंटरचेंज से जोड़ रहे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर आयोजित जनसभा में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक पेड़ मां के नाम 2.0 अभियान की शुरुआत करते हुए बताया कि किस प्रकार से आप अपने आसपास हवा को बेहतर रख सकते है।

जनता को सबोधित करते हुए बोले गडकरी
मंत्री नितिन गडकरी ने जनसभा में कहा कि यह क्षेत्र अभी दिल्ली से दूर है तो आबोहवा अच्छी है। उन्होंने स्थानीय सांसद डा महेश शर्मा, विधायक धीरेन्द्र सिंह, अधिकारियों और स्थानीय लोगों से कहा कि नोएडा एयरपोर्ट बनने के बाद वाहनों से यहां प्रदूषण बढ़ेगा। ऐसे में इस क्षेत्र को हरा-भरा बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। एनएचएआई ग्रीनफील्ड एक्स्प्रेसवे पर 17 हजार पौधे लगाएगा। पौधरोपण के दौरान उन्होंने यमुना एक्सप्रेसवे और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के बीच बने इंटरचेंज का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि इस इंटरचेंज को पौधे लगाने के साथ-साथ खूबसूरत भी बनाएंगे ताकि यहां आने वाले यात्रियों को नोएडा की सुंदरता का अहसास हो सके। गडकरी ने कहा कि राजमार्ग बनाने के लिए अब तक एक लाख पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया है जिसमें से 85 प्रतिशत पेड़ों को बचा लिया गया है।
ये जनप्रतिनिधि रहे मौजूद
इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा, सांसद डॉ. महेश शर्मा और जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह, एनएचएआई के अध्यक्ष संतोष यादव, तीनों प्राधिकरणों के सीईओ व जिलाधिकारी मनीष वर्मा आदि मौजूद रहे।

यूएसए को पीछे छोड़ेगी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री
इस दौरान गडकरी ने कहा कि जब वे मंत्री बने थे तो भारत ऑटोमोबाइल में 13वें नंबर पर था। आज हम जापान को छोड़कर 2200 लाख करोड़ रुपये की इंडस्ट्री बन गए हैं। अगले पांच साल में अमेरिका को पीछे छोड़कर पहले नंबर की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बनाने का लक्ष्य है।
एक्सप्रेसवे के किनारे क्रैश बैरियर होगे इको फ्रैडली
गडकरी ने कहा कि जल्द ही एनएचएआई देशभर में बनने वाले एक्सप्रेसवे और अन्य राजमार्ग पर बांस से बने क्रैश बैरियर लगाएगा। बांस की खेती का चीन में करीब दो लाख करोड़ रुपये का कारोबार है। भारत में इसका उपयोग कई वस्तुओं में किया जा सकता है।

 

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