Nightfall is not a disease but a miraculous gift of nature: सोते समय वीर्य निकलना, जिसे स्वप्नदोष या नाइटफॉल कहा जाता है, सदियों से पुरुषों के बीच चिंता और शर्मिंदगी का विषय बना रहा है। लेकिन वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने इसे एक ‘अद्भुत चमत्कार’ करार देते हुए समाज की गलत धारणाओं पर करारा प्रहार किया है। उनके अनुसार, यह कोई बीमारी या दोष नहीं, बल्कि शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया है जो वीर्य की अधिकता को संतुलित करती है। एक हालिया प्रवचन में महाराज जी ने कहा, “सोते समय वीर्य निकलना बीमारी नहीं, बल्कि ईश्वरीय चमत्कार है। यह शरीर को स्वस्थ रखने का प्रकृति का तरीका है।”
स्वप्नदोष को वैज्ञानिक रूप से नोक्टर्नल एमिशन (रात्रिकालीन स्खलन) कहा जाता है, जो मुख्य रूप से किशोरावस्था और युवावस्था में होता है। चिकित्सकों के मुताबिक, यह हार्मोनल बदलावों के कारण होता है और महीने में एक-दो बार होना पूरी तरह सामान्य है। विकिपीडिया जैसे स्रोतों के अनुसार, “यह कोई दोष न होकर एक स्वाभाविक दैहिक क्रिया है, जिसमें नींद के दौरान वीर्यपात हो जाता है।” हालांकि, समाज में इसे कमजोरी या यौन रोग का लक्षण मान लिया जाता है, जो मानसिक तनाव को जन्म देता है। डॉक्टरों का कहना है कि अधिकतर मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाता है और चिंता की कोई बात नहीं।
प्रेमानंद जी महाराज, जो राधावल्लभ संप्रदाय की परंपरा से जुड़े हैं, ने अपने सत्संगों में स्पष्ट किया कि स्वप्नदोष वास्तव में शरीर के लिए फायदेमंद है। उनके अनुसार, यदि यह प्राकृतिक रूप से होता है, तो यह वीर्य को ताजा रखता है और संतानोत्पत्ति की क्षमता को मजबूत बनाता है। लेकिन यदि यह हस्तमैथुन या अश्लील विचारों जैसे कुसंग से जुड़ा हो, तो इसे नियंत्रित करने की जरूरत है। भजन मार्ग वेबसाइट पर प्रकाशित उनकी शिक्षाओं में कहा गया है, “वीर्य शरीर से दो तरीके से निकलता है। प्राकृतिक स्वप्नदोष तो चमत्कार है, लेकिन गलत आदतों से होने वाला वीर्यपात ब्रह्मचर्य को नुकसान पहुंचाता है।” महाराज जी सलाह देते हैं कि नाम जप, सत्संग और अच्छे संगति से मन शुद्ध होता है, जिससे ऐसी समस्याएं कम हो जाती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, स्वप्नदोष के मुख्य कारणों में यौन उत्तेजना, तनाव, धूम्रपान या अनियमित जीवनशैली शामिल हैं। यदि यह बार-बार हो रहा हो, तो थकान, कमजोरी या नींद की कमी जैसी परेशानियां हो सकती हैं। आयुर्वेदिक स्रोतों जैसे जंदू केयर के अनुसार, संतुलित आहार, योग, ध्यान और व्यायाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। डॉक्टर राज कुमार शर्मा जैसे विशेषज्ञों का कहना है कि “यह मानसिक बीमारी नहीं, बल्कि शरीर की सफाई प्रक्रिया है।” नवभारत टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट में डॉक्टर राजेश कुमार ने जोर देकर कहा, “नाइटफॉल कोई रोग नहीं, बल्कि कल्चर बाउंड सिंड्रोम है – यानी सांस्कृतिक भ्रांतियों से उपजा तनाव।”
प्रेमानंद जी महाराज की यह शिक्षा युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। उनके एक वीडियो प्रवचन में लाखों भक्तों ने सुना कि “ईश्वर ने शरीर को इतना सुंदर बनाया है कि यह खुद को संतुलित रख लेता है। इसे शर्मिंदगी का विषय न बनाएं, बल्कि आभार व्यक्त करें।” वृंदावन के हित राधा केली कुंज आश्रम में आयोजित सत्संगों में युवा इस विषय पर खुलकर चर्चा कर रहे हैं। महाराज जी ने आगे कहा, “यदि समस्या अधिक हो, तो आयुर्वेदिक दवाओं के साथ नाम जप अपनाएं। छह महीने की अनुशासित साधना से स्थायी लाभ मिलेगा।”
यह चर्चा समाज में जागरूकता फैला रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही जानकारी से युवा मानसिक बोझ से मुक्त हो सकते हैं। प्रेमानंद जी महाराज की भक्ति और विज्ञान से प्रेरित यह दृष्टिकोण न केवल स्वप्नदोष जैसी भ्रांतियों को दूर कर रहा है, बल्कि आध्यात्मिक जीवन की ओर ले जा रहा है। यदि आप भी इस ‘चमत्कार’ से परेशान हैं, तो सत्संग में शामिल हों और प्रकृति के इस उपहार को समझें।

