NGT ने नही दी जयपुर प्राधिकरण को राहत, जमा करने होंगे पौने चार करोड़
नई दिल्ली। खुले क्षेत्र सीवर बहाकर प्रदूषण फैलाने पर लगे पौने चार करोड़ रुपये के पर्यावरणीय हर्जाने को जयपुर विकास प्राधिकरण को जमा करना होगा। मालूम हो कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई के खिलाफ अपील पर राहत देने से NGT ने साफ मना कर दिया है।NGT का कहना है कि प्राधिकरण को लगातार प्रदूषण फैलाते रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। तीन महीने में प्राधिकरण को हर्जाने की धनराशि जमा करनी होगी।
बता दें कि 2021 में कैप्टन सत्येंदर कुमार सिंह ने एनजीटी में याचिका की कि कलवर रोड पर गजाधरपुरा में 30 एमएलडी का एसटीपी बना हुआ है। यहां बिना शोधित सीवर खुले में बहाया जा रहा है। इससे पूरे इलाके में प्रदूषण फैल रहा है।
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जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur Development Authority) ने इस एसटीपी का निर्माण किया था। यह एसटीपी पूरी तरह क्रियाशील नहीं है। एनजीटी के आदेश के बाद भी इस एसटीपी को क्रियाशील नहीं किया गया। प्रदूषण रोकने के लिए भी जरूरी कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हर्जाना लगाने की कार्रवाई की। कुल हर्जाने का 33.75 लाख रुपये ही अभी तक जयपुर विकास प्राधिकरण ने जमा किया। इस हर्जाने के खिलाफ अपील कर इसके आकलन पर भी प्राधिकरण ने सवाल उठाए थे।
एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य जस्टिस शिव कुमार सिंह, जस्टिस सुधीर अग्रवाल, डॉ. ए सेंथिल वेल के आदेश के मुताबिक 828 दिन तक लगातार पर्यावरण उल्लंघन के लिए लगे हर्जाने में से बकाया धनराशि को तीन महीने में विकास प्राधिकरण जमा कराए। डीएम जयपुर को जमा धनराशि 33.75 लाख रुपये तुरंत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। हर्जाने की यह धनराशि प्रदूषण रोकने पर खर्च होगी।