जिला गौतमबुद्ध नगर में संगठित अपराध पर पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का लगातार वार जारी है। हालांकि संगठित अपराध पर लगाम कसने की शुरुआत तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह ने की। जिन्होंने अलग-अलग गैंग को सूचीबद्ध कर उन पर गैंगस्टर की कार्रवाई की। जितने लोगों पर गैंगस्टर लगाया गया था उन्हें कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई, क्योंकि कोर्ट ने जिलाधिकारी के फैसले को सही माना। इसी कड़ी में जब गौतमबुद्ध नगर में कमिश्नरी व्यवस्था लागू हुई तो गैंगस्टर में निरोध करने की शक्ति पुलिस कमिश्नर के हाथ में आ गई। गौतम बुद्ध नगर के पहले कमिश्नर आलोक सिंह के समय उन लोगों पर कार्रवाई हुई। जिन पर गैंगस्टर लग चुका था और उनकी संपत्ति भी मुकदमों में अटैच कर दी गई थी।
पुलिस ने सुंदर भाटी गैंग के साथ-साथ स्क्रैप ठेकेदार निजाम मलिक उर्फ मुनीम पर शिकंजा कसा। इसी सब के बीच रवि काना एक ऐसा नाम निकलकर सामने आया, जिसने स्क्रैप ठेकेदारों को घर बैठा दिया। कथित तौर पर सुंदर भाटी से सांठगांठ होने के चलते निजाम मलिक नोएडा ग्रेटर नोएडा की कई बड़ी फैक्ट्री में अपनी धाक जमा कर स्क्रैप के ठेके लेता था। मगर रवि काना ने पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर सुंदर भाटी, निजाम मलिक व अन्य स्क्रैप ठेकेदारों को ठिकाने लगाने की शुरुआत की। सबसे पहले थाना बीटा-2 में निजाम मलिक व उनके बेटों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। गैंगस्टर में कार्रवाई भी हुई। उनकी कई सौ करोड़ की संपत्ति पुलिस ने जब्त कर ली। जानकार बताते हैं कि यह सब कार्यवाही रवि काना के साथ पुलिस के घट जोड़ का नतीजा था। जो उसने पुलिस अफसर से किया था। ऐसा भी बताया जाता है कि उसने कई भाजपा के बड़े नेताओं से आशीर्वाद प्राप्त किया था। कोई भी स्क्रैप ठेकेदार नोएडा और ग्रेटर नोएडा में यदि बिना रवि काना की अनुमति के ठेका लेता तो उसके माल को गाड़ी समेत फैक्ट्री से निकलते ही हाईजैक कर लिया जाता था। गत्ता व्यापारी ने भी इसी तरह का एक मुकदमा दर्ज कराया था।
कैसे चलता आ रहा था स्क्रैप का कारोबार
गौतमबुध नगर में स्क्रैप की ठेकेदारी वाला काम हमेशा ही विवादों में रहा है और लगातार स्क्रैप ठेकेदारों का आपस में वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिली है। एक वक्त था जब दादरी के रहने वाले फरमान मलिक की रेलवे फाटक के पास हत्या की गई। उसे दौरान चर्चा थी कि स्क्रैप ठेकों को लेकर ही फरमान मलिक की हत्या की गई है। इस हत्याकांड में निजाम मलिक उर्फ मुनीम और उनके बेटों खिलाफ थाना सूरजपुर में रिपोर्ट दर्ज की गई। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। स्क्रैप ठेकों को लेकर हमेशा खींचतान चलती रही। निजाम मलिक ही ज्यादातर बड़ी फैक्ट्री में स्क्रैप के ठेके लेने लगे। उनके अलावा भी कई अन्य लोग इस क्षेत्र में उतरे मगर वह कामयाब नहीं हो पाए। सरिया और स्क्रैप का धंधा रवि काना ने भी शुरू कर दिया, मगर रवि काना की दाल नहीं गल पा रही थी। दरअसल निजाम मलिक की अलग अलग फैक्ट्री में अच्छी पकड़ थी और उन्हीं को एलजी और सैमसंग जैसी कंपनियों से स्क्रैप का ठेका मिलता था। वक्त बिता गया और रवि काना ने इस तरह की सांठगांठ बिठाई कि निजाम मलिक को ही ठिकाने लगा दिया। उनके खिलाफ धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज हुए और उनकी संपत्ति तक अटैक हो गई। अब रवि काना की भी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि जल्दी रवि काना कोर्ट में खुद को सरेंडर कर देगा।