नवजात शिशु की हुई थी मौत, सुरक्षित प्रसव के नाम पर हड़पे थे 1.64 लाख
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नवजात शिशु की हुई थी मौत, सुरक्षित प्रसव के नाम पर हड़पे थे 1.64 लाख

मुरादनगर।   एक अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से हुई नवजात की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने 7 महीने बाद जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में पीड़ित पिछले काफी समय से सीएमओ आॅफिस के चक्कर काट रहा था। सीएमओ ने एक समिति का गठन किया है जो जांच के बाद रिपोर्ट सौंपेगी। अधिवक्ता यशू सिंघल और उसके भाई हापुड़ निवासी अमित सिंघल ने सीएमओ को एक शिकायती पत्र दिया।अमित सिंघल ने सीएमओ को बताया कि उनकी पत्नी चांदनी गर्भवती थी और उनका उपचार डॉ. सुनंदा गोबिल से चल रहा था। पत्नी की दो जगह जांच करवाई गई और दोनों रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चे की एक किडनी नहीं है और बच्चा कमजोर भी है। इससे परिवार चिंतित हो गया और अन्य कई डॉक्टरों के सलाह ली। वह पत्नी को मुरादनगर में बालाजी क्लीनिक संचालित करने वाली डॉ. चंचल चौधरी के पास ले गए। डॉ. चंचल चौधरी मुरादनगर में ही कृष्णा मेडीकेयर सेंटर में डॉ. उमेश शर्मा के साथ बैठती हैं। उन्होंने पत्नी चांदनी का अल्ट्रासाउंड बालाजी डायग्नोस्टिक सेंटर में करवाया।

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दोनों चिकित्सकों के पास गर्भवती महिला का 6 माह से ज्यादा समय तक इलाज चला और बाद में दोनों डॉक्टरों ने डिलीवरी करवाने के लिए उन्हें मोदीनगर के श्रीसांई नर्सिंग होम में भर्ती करवाने को कहा। इसके लिए उन्होंने 32,900 रुपए जमा करवाने के लिए कहा। इसके अलावा इलाज के नाम पर समय-समय पर 1.25 लाख रुपए भी लिए और जच्चा, बच्चे के स्वस्थ होने का विश्वास भी दिलाया। श्रीसाईं नर्सिंग होम में 17 सितंबर 2022 को प्रसव हुआ और कुछ देर बाद ही बच्चे की मृत्यु हो गई। पीड़ित पिछले 7 महीने से आरोपी चिकित्सकों के खिलाफ लगातार शिकायत कर रहा है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच के कोई आदेश नहीं दिए गए।

क्या कहते हैं सीएमओ
सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर ने बताया कि मामले की जांच डिप्टी सीएमओ और पीसीपीएनडीटी एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ चरन सिंह की देखरेख में समिति का गठन किया गया है। यह समिति जांच के बाद अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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