Steel Business ArcelorMittal News: दुनिया के सबसे बड़े स्टील कारोबार आर्सेलरमित्तल के मालिक और भारतीय मूल के अरबपति लक्ष्मी नीवासन मित्तल ने ब्रिटेन छोड़ने का फैसला कर लिया है। ब्रिटेन के मशहूर अख़बार ‘द संडे टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, मित्तल अब टैक्स के लिहाज से स्विट्ज़रलैंड के रेजिडेंट बन गए हैं और अपना ज़्यादातर समय आगे दुबई में बिताएंगे। 75 वर्षीय लक्ष्मी मित्तल अभी तक ब्रिटेन में रहते थे और 2025 के ‘संडे टाइम्स रिच लिस्ट’ में वे 15.4 अरब पाउंड (लगभग 1.65 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति के साथ ब्रिटेन के 8वें सबसे अमीर व्यक्ति थे।
ब्रिटेन छोड़ने की मुख्य वजह
रिपोर्ट में मित्तल के करीबी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आयकर या कैपिटल गेन टैक्स से उन्हें ख़ास परेशानी नहीं थी, बल्कि ब्रिटेन का इनहेरिटेंस टैक्स (मृत्यु के बाद संपत्ति पर लगने वाला टैक्स) सबसे बड़ा कारण बना। ब्रिटेन में यह टैक्स दुनिया भर की संपत्ति पर 40% तक लग सकता है, जबकि दुबई और स्विट्ज़रलैंड में इनहेरिटेंस टैक्स बिल्कुल शून्य है।
एक सलाहकार ने अख़बार को बताया, “विदेशी मूल के बहुत से अमीर लोग यह समझ नहीं पाते कि उनकी दुनिया भर की संपत्ति पर ब्रिटिश ख़जाना क्यों टैक्स लगाए। ऐसे में उनके पास देश छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचता।”
लेबर सरकार की नई टैक्स नीतियाँ बना रही हैं दबाव
ब्रिटेन में इस समय लेबर पार्टी की सरकार है और चांसलर रेचल रीव्स 26 नवंबर को अपना दूसरा बजट पेश करने वाली हैं।
पिछले साल के बजट में ही कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाया गया था, उद्यमियों को मिलने वाली टैक्स छूट कम की गई थी और परिवारिक कंपनियों को अगली पीढ़ी में ट्रांसफर करने पर नया टैक्स लगाया गया था।
इस बार बजट से पहले यह अफ़वाह जोरों पर थी कि सरकार “एग्ज़िट टैक्स” (देश छोड़ते समय टैक्स) भी लगा सकती है। हालांकि बाद में सरकार ने इस योजना को फिलहाल टाल दिया, लेकिन अमीर लोगों का भरोसा डगमगा चुका है।
मित्तल अकेले नहीं, कई और अरबपति जा चुके हैं दुबई
• हाल ही में भारतीय मूल के टेक उद्यमी हरमन नरूला (इम्प्रॉबेबल के संस्थापक) ने भी दुबई शिफ़्ट करने का ऐलान किया।
• रेवोल्यूट के को-फाउंडर निक स्टोरॉन्स्की पहले ही दुबई चले गए, जिससे उन्हें करीब 3 अरब पाउंड का कैपिटल गेन टैक्स बच गया।
• कई अन्य अरबपतियों ने भी ब्रिटेन छोड़ने की तैयारी कर ली है।
मित्तल दुबई में पहले से एक आलीशान हवेली के मालिक हैं और हाल ही में उन्होंने नईया आइलैंड पर बड़े पैमाने पर प्रॉपर्टी भी ख़रीदी है।
ब्रिटेन में अमीर लोगों का यह पलायन सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इन लोगों के जाने से टैक्स राजस्व के साथ-साथ निवेश और नौकरियाँ भी प्रभावित हो रही हैं।

