New Delhi News: मेडिक्लेम पॉलिसी वाले मरीजों से निजी अस्पतालों द्वारा मनमाना बिल वसूलने की शिकायतों पर अब केंद्र सरकार कढोर कदम उठाने जा रही है। सरकार और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने इस मुद्दे पर गहन जाँच कि है। विश्लेषण में पाया गया कि कई निजी अस्पताल बीमा कवरेज वाले मरीजों से इलाज की लागत को अनुचित रूप से बढ़ाकर ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं। इसे रोकने के लिए सरकार एक ठोस योजना पर काम कर रही है।
सरकार की योजना में नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज (NHCX) को वित्त मंत्रालय के अधीन लाने की तैयारी कर रही है। यह प्लेटफॉर्म बीमा कंपनियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और मरीजों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करता है। NHCX की सख्त निगरानी से बीमा कंपनियों को इलाज की दरें निर्धारित करने में सामूहिक सौदेबाजी की ताकत मिलेगी, जिससे अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगेगी। इससे न केवल बिलों में पारदर्शिता आएगी, बल्कि आम लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस भी सस्ता हो सकता है।
एओन की ग्लोबल मेडिकल ट्रेंड रेट्स रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत में स्वास्थ्य सेवा लागत में 13% की वृद्धि होने का अनुमान है, जो वैश्विक औसत 10% से अधिक है। यह बढ़ती लागत मरीजों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास महंगे बीमा कवर हैं।
असम सरकार ने भी निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि अब कोई भी निजी अस्पताल बिल बकाया होने के कारण मृतक के शव को दो घंटे से अधिक समय तक नहीं रोक सकेगा। नियम तोड़ने वाले अस्पतालों का लाइसेंस 3-6 महीने के लिए निलंबित किया जा सकता है और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
सरकार का यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और मरीजों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों से न केवल अस्पतालों की मनमानी रुकेगी, बल्कि स्वास्थ्य बीमा की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। मरीजों को अब यह उम्मीद है कि इलाज के नाम पर होने वाली आर्थिक लूट पर जल्द ही अंकुश लगेगा।
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