समान काम, समान वेतन, समान सम्मान, चंद्रशेखर आजाद ने उठाया कर्मचारियों के हक का मुद्दा

New Delhi News: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने संसद भवन परिसर में कर्मचारियों के अधिकारों के लिए जोरदार आवाज उठाई। उन्होंने ‘समान काम, समान वेतन, समान सम्मान’ के सिद्धांत को लागू करने की मांग करते हुए संविदा और स्थायी कर्मचारियों के बीच वेतन में भेदभाव को अन्याय करार दिया।

चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि जब काम एक जैसा है, तो वेतन और सम्मान में अंतर क्यों? उन्होंने बताया कि जहां स्थायी कर्मचारियों को आठ घंटे काम के लिए 50,000 रुपये तक का वेतन मिलता है, वहीं ठेका या आउटसोर्स कर्मचारियों को उसी काम के लिए मात्र 8,000 रुपये दिए जाते हैं। इस असमानता को उन्होंने अस्वीकार्य बताया और इसे संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ माना।

संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का समर्थन
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 39(d) स्पष्ट रूप से सभी नागरिकों को सरकारी नौकरियों में अवसर की समानता और समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार प्रदान करते हैं। अनुच्छेद 39(d) विशेष रूप से पुरुषों और महिलाओं के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करने की बात करता है। इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई मामलों में ‘समान काम के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत को मान्यता दी है। 26 अक्टूबर 2016 को दिए गए एक फैसले में कोर्ट ने कहा था कि अस्थायी कर्मचारी भी स्थायी कर्मचारियों के समान मेहनताने के हकदार हैं। हाल ही में, 5 फरवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के मालियों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लंबे समय तक स्थायी कर्मचारियों की तरह काम करने वाले कर्मचारियों को समान वेतन का अधिकार है। कोर्ट ने गाजियाबाद नगर निगम को ऐसे कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने और 50% पिछले वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया।

कानूनी ढांचा और चुनौतियां
भारत में समान वेतन का सिद्धांत समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के तहत भी लागू है, जो लिंग के आधार पर वेतन भेदभाव को रोकता है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों, जैसे एयर इंडिया बनाम नर्गेश मिर्जा मामले में, ने ‘समान कार्य’ की परिभाषा को संकीर्ण रूप से व्याख्या किया, जिसके कारण संविदा और स्थायी कर्मचारियों के बीच भेदभाव की समस्या बनी हुई है। इसके अलावा, ठेका मजदूर (संचालन एवं उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के तहत ठेका कर्मचारियों को समान वेतन और सुविधाएं सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है, लेकिन इसका प्रभावी कार्यान्वयन अभी भी चुनौती बना हुआ है।

भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी की मांग
चंद्रशेखर आजाद ने केंद्र सरकार और संबंधित मंत्रालयों (@PMOIndia, @narendramodi, @FinMinIndia, @nsitharaman, @LabourMinistry, @mansukhmandviya) से इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। आजाद समाज पार्टी ने @mygovindia से अनुरोध किया है कि देश भर के कर्मचारियों के हित में स्पष्ट और प्रभावी कानून बनाए जाएं, ताकि संविदा कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मचारियों के समान वेतन और सम्मान मिल सके।

कर्मचारियों की स्थिति
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 1.25 करोड़ लोग सरकारी विभागों में कार्यरत हैं, जिनमें से 69 लाख ठेका कर्मचारी हैं। इन कर्मचारियों को अक्सर कम वेतन और सुविधाओं का सामना करना पड़ता है, जो उनके अधिकारों का हनन है।

आगे की राह
चंद्रशेखर आजाद की इस मांग ने कर्मचारियों के बीच एक नई उम्मीद जगाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार को न केवल कानूनों को और सख्त करना होगा, बल्कि उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ठोस कदम भी उठाने होंगे। समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत न केवल संवैधानिक अधिकार है, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
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