New Delhi News : भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य उत्पादों पर भ्रामक और झूठे दावों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। हाल ही में, FSSAI ने खाद्य व्यापार संचालकों को निर्देश दिया है कि वे अपने उत्पादों के लेबल और विज्ञापनों से भ्रामक दावों, जैसे “100% फलों का रस” या “100% हेल्दी” जैसे शब्दों को हटाएं, जो उपभोक्ताओं को गुमराह करते हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी इस “हेल्थ वॉशिंग” के मुद्दे पर चिंता जताई है और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
हेल्थ वॉशिंग का बढ़ता चलन
हेल्थ वॉशिंग से तात्पर्य उन खाद्य उत्पादों से है, जिन्हें कंपनियां “हेल्दी”, “नैचुरल”, या “शुद्ध” जैसे आकर्षक शब्दों के साथ प्रचारित करती हैं, जबकि वास्तव में ये उत्पाद पोषण के दृष्टिकोण से उतने लाभकारी नहीं होते। उदाहरण के लिए, कई पुनर्निर्मित (रेहाइड्रेटेड) जूस को “100% फलों का रस” बताकर बेचा जाता है, जो उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाता है कि वे शुद्ध और बिना मिलावट वाला उत्पाद खरीद रहे हैं। FSSAI ने मई 2025 में ऐसी लेबलिंग पर रोक लगाने की एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें स्पष्ट किया गया कि “100%” जैसे दावे भ्रामक हैं।
मंत्रालय का कड़ा रुख
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने FSSAI के साथ मिलकर इस मुद्दे पर सख्ती बरतने का फैसला किया है। मंत्रालय ने कहा कि भ्रामक लेबलिंग न केवल उपभोक्ताओं का विश्वास तोड़ती है, बल्कि उनकी सेहत के लिए भी जोखिम पैदा करती है। मंत्रालय ने FSSAI को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसी कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे जो गलत दावे करती हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने भी पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की लेबलिंग पर सख्त नियम लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है।
FSSAI की नई पहल: उपभोक्ता शिकायतों के लिए डिजिटल सुविधा
FSSAI ने उपभोक्ताओं को भ्रामक दावों की शिकायत दर्ज करने के लिए एक नई डिजिटल सुविधा शुरू की है, जिसका नाम FOSCOS (Food Safety Compliance System) है। अब उपभोक्ता फूड सेफ्टी कनेक्ट मोबाइल ऐप या FSSAI की वेबसाइट (https://foscos.fssai.gov.in) के माध्यम से घर बैठे शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह कदम उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और कंपनियों पर जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
हितधारकों के साथ परामर्श
FSSAI ने हाल ही में नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय हितधारक परामर्श आयोजित किया, जिसमें खाद्य लेबलिंग और विज्ञापनों में पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर दिया गया। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, “खाद्य लेबलिंग को केवल एक मार्केटिंग उपकरण नहीं, बल्कि निर्माता और उपभोक्ता के बीच विश्वास का आधार होना चाहिए।” इस परामर्श में मौजूदा नियमों की समीक्षा की गई और वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाने के तरीकों पर चर्चा हुई।
उपभोक्ताओं से सुझाव मांगे
FSSAI ने उपभोक्ताओं और हितधारकों से हेल्थ वॉशिंग और भ्रामक लेबलिंग को रोकने के लिए सुझाव मांगे हैं। प्राधिकरण ने कहा कि उपभोक्ताओं की राय से नियमों को और प्रभावी बनाया जा सकेगा। इसके लिए FSSAI की वेबसाइट पर टिप्पणियां और सुझाव भेजने का प्रारूप उपलब्ध है।
क्या है चुनौती?
FSSAI के सामने सबसे बड़ी चुनौती नियमों का प्रभावी ढंग से लागू करना और छोटे-बड़े सभी खाद्य व्यापार संचालकों को जवाबदेह बनाना है। CAG की एक रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया था कि FSSAI ने कई मामलों में अधूरे दस्तावेजों के आधार पर लाइसेंस जारी किए, जिससे नियामक प्रक्रिया पर सवाल उठे। इसके अलावा, खाद्य नियामक और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के बीच समन्वय की कमी भी एक बड़ी बाधा है।
आगे की राह
FSSAI ने खाद्य सुरक्षा मानकों को और सख्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर इकाइयों का 100% निरीक्षण और आयुर्वेद आधारित खाद्य उत्पादों के लिए विशेष नियम। साथ ही, मोटापे से निपटने के लिए तेल और चीनी की खपत को कम करने के निर्देश भी राज्यों को दिए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि उपभोक्ता जागरूकता और सख्त प्रवर्तन से ही हेल्थ वॉशिंग पर पूरी तरह लगाम लगाई जा सकती है।
निष्कर्ष
FSSAI और स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम उपभोक्ताओं को सुरक्षित और पारदर्शी खाद्य विकल्प प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उपभोक्ताओं से अपील की गई है कि वे भ्रामक दावों के खिलाफ शिकायत दर्ज करें और सुझाव देकर इस मुहिम को मजबूत करें।
हेल्थ वॉशिंग और भ्रामक लेबलिंग, FSSAI सख्त, मंत्रालय ने जताया ऐतराज, उपभोक्ताओं से मांगे सुझाव

