हैंडीक्राफ्ट पर जीएसटी खत्म करने की हो रही तैयारी, बिहार के उपमुख्यमंत्री इस बैठक के संयोजक होंगे, पढ़िये पूरी खबर

New Delhi News: केंद्र सरकार जल्द ही हैंडीक्राफ्ट सामानों पर लगने वाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में कदम उठा सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार जीएसटी 2.0 के तहत टैक्स ढांचे को सरल बनाने और आम जनता व व्यवसायों पर बोझ कम करने के लिए यह प्रस्ताव तैयार कर रही है। इस कदम से न केवल हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सस्ते दामों पर हस्तनिर्मित उत्पाद उपलब्ध होंगे।
क्या है प्रस्ताव?
वर्तमान में, फैब्रिक हैंडीक्राफ्ट पर 5%, मेटल हैंडीक्राफ्ट पर 12%, और लकड़ी के हैंडीक्राफ्ट पर 12-18% की दर से जीएसटी लागू होता है। अब सरकार इन सभी पर जीएसटी को शून्य करने की योजना बना रही है। यह प्रस्ताव जीएसटी 2.0 ब्लूप्रिंट का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना और हस्तशिल्प जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना है। इसके अलावा, सरकार बीमा (इंश्योरेंस) पर भी जीएसटी दर को शून्य करने पर विचार कर रही है, जो आम जनता के लिए एक और राहत की खबर हो सकती है।
क्यों लिया जा रहा है यह फैसला?
हैंडीक्राफ्ट उद्योग भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह लाखों कारीगरों को रोजगार प्रदान करता है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में। जीएसटी हटाने से हस्तशिल्प उत्पादों की कीमतें कम होंगी, जिससे उनकी मांग बढ़ सकती है। साथ ही, यह कदम छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) को प्रोत्साहित करेगा, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सरकार का मानना है कि यह कदम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को और मजबूत करेगा।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा अंतिम फैसला
सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 20-21 अगस्त 2025 को हो सकती है। इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ मिलकर इस प्रस्ताव पर विचार करेंगी। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इस बैठक के संयोजक होंगे, और इसमें केरल, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, और कर्नाटक जैसे राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल होंगे।
आम जनता और व्यवसायों पर प्रभाव
हैंडीक्राफ्ट पर जीएसटी हटने से हस्तनिर्मित कपड़े, धातु के आभूषण, लकड़ी की सजावटी वस्तुएं, और अन्य पारंपरिक उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। इससे न केवल उपभोक्ताओं को फायदा होगा, बल्कि कारीगरों और छोटे व्यवसायियों को भी बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने का मौका मिलेगा। साथ ही, जीएसटी प्रणाली को सरल बनाने से व्यवसायों के लिए अनुपालन (कंप्लायंस) आसान होगा, जिससे टैक्स से जुड़े विवादों में कमी आएगी।
विशेषज्ञों की राय
टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम जीएसटी ढांचे को और पारदर्शी बनाएगा। EY इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल के अनुसार, “हैंडीक्राफ्ट पर जीएसटी हटाना लंबे समय से लंबित मांग थी। यह न केवल कारीगरों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक बाजार में बढ़ावा देगा।” हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव से सरकार को प्रारंभिक राजस्व नुकसान हो सकता है, लेकिन बढ़ती खपत और बेहतर अनुपालन से यह नुकसान लंबे समय में पूरा हो सकता है।
अन्य प्रस्तावित बदलाव
हैंडीक्राफ्ट के अलावा, सरकार जीएसटी स्लैब को और सरल करने पर विचार कर रही है। मौजूदा 5%, 12%, 18%, और 28% के स्लैब को घटाकर केवल दो स्लैब (5% और 18%) करने का प्रस्ताव है। 12% स्लैब में शामिल ज्यादातर वस्तुओं को 5% में शिफ्ट करने की योजना है, जिससे रोजमर्रा की चीजें जैसे खाद्य पदार्थ, जूते-चप्पल, और कपड़े सस्ते हो सकते हैं। साथ ही, 28% स्लैब को हटाकर लक्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर 40% की विशेष दर लागू करने पर भी चर्चा हो रही है।
निष्कर्ष
हैंडीक्राफ्ट पर जीएसटी खत्म करने का प्रस्ताव सरकार की उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका लक्ष्य टैक्स प्रणाली को सरल बनाना और आम जनता को राहत देना है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह न केवल हस्तशिल्प उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि उपभोक्ताओं और छोटे व्यवसायियों के लिए भी एक बड़ा तोहफा साबित होगा। जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में इस पर अंतिम फैसला होने की उम्मीद है।

यह भी पढ़े: चीन के विदेश मंत्री वांग यी, दिल्ली में विदेश मंत्री से करेंगे मुलाकात

यहां से शेयर करें