New Delhi News: AI और ऑटोनॉमस ड्रोन की दौड़ में नई उड़ान, भारत भविष्य के युद्ध मैदान में कहां खड़ा है?

New Delhi News: भविष्य के युद्ध मैदान में टैंक, तोप और पारंपरिक हथियारों की भूमिका अब कम हो रही है, और उनकी जगह ले रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोनॉमस ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीकें। जहां अमेरिका और चीन इस क्षेत्र में भारी निवेश के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, वहीं यूरोप इस दौड़ में पीछे छूटता नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत इस वैश्विक तकनीकी रेस में कहां खड़ा है?

भारत का बढ़ता कदम
भारत ने हाल के वर्षों में AI और ऑटोनॉमस ड्रोन तकनीक में निवेश को तेज किया है। रक्षा मंत्रालय और भारतीय सेना स्वदेशी तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। हाल ही में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) हैदराबाद ने एक हाइब्रिड पेलोड ड्रोन विकसित किया है, जो 200 किलोग्राम तक का वजन उठा सकता है। यह ड्रोन खेती, आपदा राहत, और सैन्य उपयोग जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है।

इसके अलावा, भारत ‘भीषण’ लॉइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम जैसे AI-आधारित स्वदेशी ड्रोन स्वार्म हथियार विकसित कर रहा है, जो सटीक हमलों में सक्षम हैं। साथ ही, भारत दुनिया का पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन बना रहा है, जो दुश्मन के हाई-रेंज रडार और इंफ्रारेड सिग्नल्स से बचकर सेकंड्स में हमला करने में सक्षम होगा।

सरकारी पहल और नीतियां
भारत सरकार ने AI और ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए हैं। नीति आयोग की 2018 की राष्ट्रीय रणनीति ने AI को स्वास्थ्य, शिक्षा, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में लागू करने पर जोर दिया है। इसके अलावा, ड्रोन नियमों को उदार बनाकर और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी ड्रोन निर्माण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत का ड्रोन उद्योग 2026 तक 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

महाराष्ट्र में देश का पहला AI विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा भी एक बड़ा कदम है। यह विश्वविद्यालय मशीन लर्निंग, डेटा साइंस, और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान करेगा, जिससे भविष्य के लिए AI विशेषज्ञों की नई पीढ़ी तैयार होगी।

निजी क्षेत्र की भागीदारी
भारत का निजी क्षेत्र भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। इन्फो एज और रतनइंडिया जैसी कंपनियां ड्रोन स्टार्टअप्स में निवेश कर रही हैं, जबकि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, और विप्रो जैसी आईटी दिग्गज AI-आधारित समाधानों पर काम कर रही हैं। 2025 तक भारत का AI बाजार 8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2020 से 40% की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।

चुनौतियां और अवसर
भारत ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अमेरिका और चीन जैसे देशों की तुलना में निवेश और स्केल में अभी भी कमी है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस क्षेत्र में और अधिक आक्रामक नीतियों, निजी क्षेत्र की भागीदारी, और अनुसंधान व विकास (R&D) में निवेश की जरूरत है। साथ ही, ड्रोन और AI तकनीकों के लिए स्पष्ट नियामक ढांचा और नैतिक दिशानिर्देश भी जरूरी हैं।

भविष्य की राह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि भारत तकनीक और स्थिरता के माध्यम से भविष्य गढ़ेगा। AI, सेमीकंडक्टर, और साइबर सुरक्षा में भारत का फोकस इसे वैश्विक तकनीकी क्रांति का नेतृत्व करने की स्थिति में ला सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत अपनी नीतियों और निवेश को और तेज करता है, तो वह न केवल इस रेस में बराबरी कर सकता है, बल्कि भविष्य के युद्ध मैदान और तकनीकी नवाचार में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

निष्कर्ष
भारत AI और ऑटोनॉमस ड्रोन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है, लेकिन वैश्विक नेतृत्व के लिए और अधिक निवेश, नवाचार, और सहयोग की जरूरत है। स्वदेशी तकनीकों और नीतिगत समर्थन के साथ, भारत भविष्य के युद्ध मैदान और तकनीकी क्रांति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की दिशा में बढ़ रहा है।

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