New Delhi News: 145 लोकसभा सांसदों ने स्पीकर को सौंपा ज्ञापन, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की मांग, विपक्ष साथ

New Delhi News: एक बड़े घटनाक्रम में, लोकसभा के 145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक ज्ञापन सौंपकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग कर डाली है। यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत लाया गया है। इस कदम में कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), जनता दल सेकुलर (जेडीएस), जनसेना पार्टी, असम गण परिषद, शिवसेना, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (सीपीएम) जैसे कई दलों के सांसद शामिल हैं।

इस महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, सुप्रिया सुले (एनसीपी), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस) और राजीव प्रताप रूडी जैसे दिग्गज नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं। यह एक दुर्लभ अवसर है जब सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों ने एक साथ इस तरह के प्रस्ताव का समर्थन किया है।

सूत्रों के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से 15 मार्च 2025 को भारी मात्रा में जले हुए नोट मिलने के आरोपों के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई है। सांसदों का कहना है कि यह मामला गंभीर है और इसकी जांच के लिए महाभियोग प्रस्ताव आवश्यक है। संविधान के तहत, किसी जज को हटाने के लिए लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं। इस मामले में, लोकसभा में जरूरी समर्थन पहले ही हासिल हो चुका है, और राज्यसभा में भी 60 से अधिक सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जब तक यह प्रस्ताव स्पीकर की अनुमति से बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) द्वारा पारित नहीं हो जाता, तब तक इस पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।” उन्होंने इस मामले में तटस्थ रुख अपनाने का संकेत दिया है।
महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया के तहत, अब इस मामले की जांच शुरू होगी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस प्रस्ताव को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के समक्ष रखेंगे, जिसके बाद यह तय होगा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाए या नहीं। इस प्रस्ताव को संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के पहले सप्ताह में पेश किए जाने की संभावना है।

यह पहली बार नहीं है जब किसी जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की मांग उठी हो, लेकिन इस बार सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों का एकजुट होना इस मामले को और गंभीर बनाता है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि यह प्रस्ताव संसद में कितनी जल्दी और कैसे आगे बढ़ेगा।

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